29 Mar 2024, 13:30:09 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

लॉकडाउन में 10 करोड़ का राशन फर्जीवाड़ा, सरकारी तंत्र भी शक के दायरे में

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 27 2021 12:48AM | Updated Date: Feb 27 2021 12:49AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नैनीताल। कोरोना महामारी के दौरान जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा था वहीं उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के किच्छा तहसील में सस्ता गल्ला के व्यापारियों एवं सरकारी तंत्र ने फर्जीवाड़ा कर सरकारी खजाने को दस करोड़ का चूना लगाये जाने का मामला सामने आया है। इसमें पौने छह करोड़ का घोटाला कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को बंटने वाले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत किया गया है। 

यह खुलासा शुक्रवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में निखिलेश घरामी की ओर से दायर जनहित याचिका में हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से उधमसिंह नगर जनपद के सितारगंज एवं किच्छा में सस्ते गल्ले की दुकानों में राशन फर्जीवाड़े को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गयी है। मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली पीठ में हुई। इसी याचिका के जवाब में यह रिपोर्ट आज अदालत में पेश की गयी।

पेश रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत निशुल्क राशन वितरण में ही पांच करोड़ 78 लाख का घोटाला किया गया है। यही नहीं इसमें नियमित मिलने वाले राशन को जोड़ दिया जाये तो अकेले इसी अवधि में सरकारी खजाने को 10 करोड़ की चपत लगायी गयी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिला पूर्ति कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। 

सस्ते गले की दुकानदारों द्वारा फर्जी यूनिटों के माध्यम से सरकारी खजाने को चूना लगाया गया है। जिस जगह यह घोटाला सामने आया है वहां जिलापूर्ति निरीक्षक के बजाय एक लिपिक को प्रभारी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को की गयी और प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से किच्छा के तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी की अगुवाई में इस मामले की जांच करायी गयी। रिपोर्ट में जिलापूर्ति अधिकारी श्याम आर्य पर भी सवाल उठाये गये हैं और इस मामले की विस्तृत जांच एसआईटी से कराने की मांग की गयी है।

जांच में जो तथ्य सामने आये हैं वह चौकाने वाले हैं। रिपोर्ट में किच्छा में 2017-18 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 535 राशन कार्ड के माध्यम से 16070 यूनिटों की बढ़ोतरी कर 633 क्विंटल राशन का अंतर सामने आया है। इसी प्रकार अंत्योदय योजना के अंतर्गत 295 एवं राज्य खाद्य योजना में 6050 राशनकार्ड की बढ़ोतरी की गयी है। यह सब उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा है कि वर्तमान में किच्छा में अंत्योदय, एपीएल व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 387447 यूनिट मौजूद हैं जो कि किच्छा की आबादी के हिसाब से मेल नहीं खाते हैं। 

जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि उधमसिंह नगर के किच्छा तहसील को छोड़कर अन्य बाकी तहसीलों जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रूद्रपुर, सितारगंज एवं खटीमा में अधिकांश जगहों में 2017 से 2019 के मध्य तीन सालों में राशन कार्डों के आंकड़ों में कटौती की गयी है जबकि किच्छा में ही राशन कार्डों और यूनिटों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव को भी शिकायत भेजी गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अंतत: इस मामले में जनहित याचिका दायर की गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता देवेश उप्रेती ने बताया कि अदालत ने इस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो एवं राज्य सरकार को जवाब देने को कहा है। 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »