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लोकतंत्र में असहमति का भी सम्मान होना चाहिए : जस्टिस कौल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 31 2020 3:17PM | Updated Date: May 31 2020 4:21PM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने विपरीत विचारधाराओं के लिए समाज में बढ़ रही असहिष्णुता को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि लोकतंत्र में असहमति का भी सम्मान होना चाहिए। न्यायमूर्ति कौल ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र में असहमति का सम्मान होना चाहिए, क्योंकि यह लोकतंत्र का आधार है। लेकिन आजकल विपरीत विचारधारा वाले लोग एक दूसरे को  'मोदी भक्त'  या ‘अर्बन नक्सल’ करार दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में असहमति का भी सम्मान होना चाहिए।
 
समाज में एक दूसरे से विपरीत विचारधाराओं के लिए असहिष्णुता बढ़ रही है। हो यह रहा है कि समाज का जो समुदाय दूसरे समुदाय को असहिष्णु करार दे रहा है, वह खुद भी असहिष्णु होता है।’’ वह 'कोरोना काल में अभिव्यक्ति की आजादी और फेक न्यूज़'  विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप मैसेज को फॉरवार्ड करने के पहले उसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए। बिना सोचे समझे मैसेज फॉरवार्ड करने से धार्मिक और नस्लीय रूप ले लेते हैं।
 
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए, क्योंकि इससे व्यक्ति के विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित होगी। ऐसे में लोगों को खुद ही देखना चाहिए कि वह किस तरह का संदेश, मैसेज फॉरवार्ड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज़ के लिए संबंधित प्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, लेकिन सोशल मीडिया के लिए यह मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रेस वाले खबरों को जिम्मेदारी के साथ लिखते हैं, उनको अपनी जिम्मेदारी का अहसास होता है। यह बात सोशल मीडिया के साथ नहीं है। सोशल मीडिया पर चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था नहीं है।
 
 
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