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भारत में संभावनायें तलाशने आ रही है 100 से अधिक कंपनियों का दल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 22 2020 7:27PM | Updated Date: Feb 22 2020 7:27PM
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नई दिल्ली। विश्व में तेज गति से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ आर्थिक और निवेश संबंधी संधियों को सुदृढ़ करने और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में तेजी लाने के उद्देश्य से 100 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों का दल पांच दिवसीय दौरे पर 24 फरवरी को भारत आ रहा हैं।  ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन एवं निवेश मंत्री साइमन बर्मिंघम की अगुवाई में आ रहे इस प्रतिनिधिमंडल में शिक्षा, पर्यटन, ऊर्जा और संसाधनों तथा खाद्य और कृषि आधारित व्यापार जैसे प्राथमिकता के क्षेत्रों की ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां शामिल है। यह शिष्टमंडल 24 से 28 फरवरी के बीच दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई का दौरा करेगा। यह दौरा ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिज़नस एक्सचेंज, जो दोनों देश के बीच व्यापार, निवेश और पर्यटन कारोबार की आयोजनों का बहुमासिक कार्यक्रम है, का हिस्सा है।
 
भारत ऑस्ट्रेलिया का आठवाँ सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी और पाँचवाँ सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है जिसके साथ 2018-19 में 30.3 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर मूल्य के बराबर वस्तु और सेवाओं का परस्पर व्यापार हुआ। बर्मिंघम अपने दौरे के दौरान 16वें मंत्री स्तरीय आयोग की बैठक में भारत के वाणिज्य मंत्री सहित कई मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। अपने इस दौरे के बारे में श्री बर्मिंघम ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के साथ इस दौरे का उद्देश्य शिक्षा, पर्यटन, स्वास्थ्य, संसाधन, मूलभूत सुविधाओं तथा खाद्यान्न, शराब और सौंदर्य के उत्कृष्ट उत्पादों पर फोकस के साथ ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों के लिए नए अवसर तलाशना है।
 
उन्होंने कहा कि अगले 20 वर्षों तक भारत के विकास में ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से बदलाव आ रहा है। अनुमान है कि वर्ष 2035 तक यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इस स्थिति में विभिन्न निर्यात क्षेत्रों में ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों के लिए भारी संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत का आकांक्षी मध्य वर्ग भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी संख्या ऑस्ट्रेलिया की आबादी से 12 गुना अधिक है। अब समय आ गया है कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को यहां लाया जाए ताकि वे भारतीय कंपनियों, सप्लाई चेन और निवेश सहयोगियों के साथ दीर्घकालीन सम्बन्ध विकसित कर सकें।
 
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