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शाहनवाज हुसैन ने दुष्कर्म के आरोप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 18 2022 3:55PM | Updated Date: Aug 18 2022 3:55PM
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नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने 2018 में उन पर लगे कथित दुष्कर्म के एक मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगाने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को गुरुवार को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। न्यायाधीश एन. वी. रामना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हुसैन के अधिवक्ता ने विशेष उल्लेख के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री की याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। पीठ इस मामले को अगले सप्ताह विचार करने पर सहमत हुई। उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशा मेनन की एकल पीठ ने बुधवार दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लगता है कि पुलिस इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को इच्छुक नहीं है। न्यायालय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का जो आदेश दिया था वह उचित है। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
 
अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें विशेष न्यायाधीश के 12 जुलाई, 2018 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेशों के खिलाफ उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता हुसैन के खिलाफ जून 2018 में दिल्ली की एक महिला द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की गई थी। महिला ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता ने कथित तौर पर उसके साथ दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी। शिकायतकर्ता ने बाद में अदालत में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी। भाजपा नेता ने उच्च न्यायालय से झटका लगने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी विशेष अनुमति याचिका में तर्क दिया कि उच्च न्यायालय इस तथ्य पर गौर करने में विफल रहा कि याचिकाकर्ता को गलत, झूठे और अवैध रूप से मामले में महिला-शिकायतकर्ता द्वारा गलत मकसद से फंसाया गया था।
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