बेंगलुरु। सुप्रसिद्ध लेखक एवं इतिहासकार एस. शेट्टार का शुक्रवार को एक निजी अस्पताल में निधन में गया। वह 85 वर्ष के थे और पिछले एक सप्ताह से उन्हें श्वसन संबंधी परेशानियां थी। शेट्टार के परिवार में पत्नी और दो पुत्री हैं। उन्हें बहु-विषयक कार्यों, भाषाशास्त्र, पुरावलेखन और मानव शास्त्र के ज्ञाता के रूप में जाना जाता था। वह केन्द्रीय साहित्य अकादमी, कर्नाटक राज्योत्सव, मस्ती रत्न अवार्ड से नवाजा गया था। श्री शेट्टार ने कर्नाटक में जैनियों के अंतिम संस्कार और अशोका शिलालेख पर विस्तार से कार्य किया था। उन्होंने कन्नड में प्रारंभिक संकलित संकलन पर अध्ययन किया और कन्नड भाषा के विस्तार करने पर भी काम किया था।
शेट्टार का जन्म 1935 में बेल्लारी जिले के हमपासागारा में हुआ। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और धारवाड़ में कर्नाटक विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद वह वर्ष 1978 में कला, संरक्षण और संग्रहालय के इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान और 1996 में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के प्रमुख रहे। वह बेंगलुरु में राष्ट्रीय उन्नत संस्थान के विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। वह द्विभाषी इतिहासकार थे जिन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान अधिकतर अंग्रेजी भाषा में लेखन किया लेकिन करियर की शुरुआत में कन्नड भाषा में लिखना शुरू किया। पिछले दो दशकों में भाषा विज्ञान और शास्त्रीय कन्नड और प्राकृत पर कई किताबें लिखीं।