हरितालिका तीज सुहागनों के लिए सबसे उत्तम व्रत है। इस दिन शिव-पार्वती की संयुक्त उपासना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। भाद्रमास मास की शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथी को ये व्रत रखा जाता है। ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन निर्जला रहकर भोलेशंकर की आराधना करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का भी लाभ मिलता है। तीज पूजन का शुभ मुहूर्त शाम को 6:54 से लेकर रात 9:06 बजे तक है।
इस दिन पार्वती जी ने निर्जला व्रत रखकर शिव जी को प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विशेष विधान है, जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्द शादी की कामना करती हैं उन्हें भी आज के दिन व्रत रखना चाहिए। आज व्रत रखने पर कुंवारी कन्याओं को मनचाहा पति प्राप्त होता है।
पुराणों के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के रखा था, इसलिए इस दिन की पूजा का खास महत्व होता है। हरतालिक तीज को तीजा भी कहते हैं। ये तीज मुख्य रुप से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल औऱ बिहार में मनाया जाता है। इस दिन हर कोई व्रत रख सकता है लेकिन ध्यान रहे की पूजा में या व्रत में किसी तरह की कोई गलती नहीं होनी चाहिए।
पुराणों में कहते हैं की इस दिन माता पार्वती ने शिव जी को अपने पति के रुप में पाने के लिए ये कठोर व्रत रखा था। इसलिए इस दिन दोनों की ही पूजा की जाती है। मानते हैं कि माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की थी कि उन्हें पति के तौर पर भगवान शिव ही प्राप्त हों। माता ने ये व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतिया के दिन हस्त नक्षत्र में रेत से शिवलिंग बनाया था औऱ रात पर जाकर भोलेनाथ की पूजा की थी। माता का या कठोर तप देखकर शंकर भगवान ने उन्हें अपने दर्शन दिए थे। भोलेशंकर ने पार्वती जी को अखंड सुहाग का वरदान दिया और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।