नई दिल्ली। देश में 21 दिनों तक लागू किए गए लॉकडाउन के नौवें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश जारी कर देशवासियों से 5 अप्रैल को कोरोना के संकट को अंधकार से चुनौती देने के लिए कहा। उन्होंन सभी से अपील करते हुए ये भी कहा कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे 130 करोड़ देशावासी 9 मिनट के लिए अपने घर की सभी लाइट बंद करके बालकनी या दरवाजे में खड़े होकर दीपक, मोमबत्ती, टॉर्च या अपने फोन की फ्लैशलाइट जलाएं।
ज्योतिषाचार्य अंजना के अनुसार, भारत की कुंडली में बहुत दिनों से कालसर्प योग का निर्माण चल रहा है। इसलिए भारत को विपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो तरह-तरह की अपील की जा रही है, अगर इन्हें ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो ये राहु-केतु के उपाय किए जा रहे हैं।
बीते दिनों 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोगों से ताली थाली बजाने यानी की ध्वनि यंत्र बजाने की अपील की गई थी। यह राहु का दिन था, 22 मार्च यानी अंक 4 होता है जो कि राहु का अंक माना जाता है और उस दिन कुंभ राशि का शतभिषा नक्षत्र भी था। शतभिषा नक्षत्र 100 तारों का समूह है। जिससे की राहु का प्रभाव कम हो।
अब 5 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपने घरों में अंधेरा कर घर के बाहर रात 9 बजे दिपक लगाने की अपील की है। ज्योतिष के अनुसार माना जा रहा है कि, 5 अप्रैल को अंक 5 यानी बुध का अंक है, वहीं सिंह राशि पर मघा नक्षत्र है जो कि केतु का नक्षत्र माना जाता है और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन त्रयोदशी तिथि भी है। इसलिए इस दिन जहां दिए जलते हैं वहां रामराज्य स्थापित होता है और लक्ष्मी माता वैद्य धन्वंतरि के साथ घर आती हैं।
5 अप्रैल को रात 9 बजे तुला लग्न व लग्नेश अष्टम में सूर्य के नक्षत्र में होगा। सूर्य रोग 6 वें स्थान में रोग रूपी शत्रु का नाश करने के लिए, चतुर्थ में शनि, मंगल व गुरु होंगे। इसके अलावा अप्रैल में रात को 9 बजे से 11 बजे तक केतु नक्षत्र शिरो बिंदु पर होता है। ध्वजारोहण विजयी निश्चित होगी सूर्य हमारे आत्म विश्वास को बढ़ाएगा। पहले ध्वनि विज्ञान और अब प्रकाश विज्ञान। दोनों ही राहु -केतु को शांत करने की अच्छी पहल है। सूर्य के पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र नवीनीकरण को बताता है। यह अधोमुख नक्षत्र नूतनसृष्टि और हार ना मानने वाला नक्षत्र माना जाता है। आपको बता दें कि, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग है।
जिन्हें मॉर्निंग स्टार भी कहा जाता है या भोर का तारा कहा जाता है। इनमें विष पचाने की क्षमता होती है क्योंकि यह शिवलिंग से जुड़ा हुआ है। पूर्वाफाल्गुनी रोग चिकित्सा क्षेत्र से भी जुड़ा हुआ है। रचनात्मक पक्ष को मजबूत बनाता है इसका संबंध है और ऐसा माना जाता है संजीवनी विद्या का कारण भी इसे माना गया है तो इस तरह शुक्र सूर्य दोनों को यहां पर पहुंचे तो आगे आने वाली समस्याओं को समाप्त करने की भी एक शुरुआत हो सकती है। यह अवसाद का शिकार लोगों के लिये अच्छी रिमेडिज है। अतः फेफड़ों की बीमारी से मुक्ति के लिए दीपक जलाने का उल्लेख शस्त्रों में भी मिलता है।