रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने राज्य में पिछले एक वर्ष के दौरान राजस्व संग्रहण में कमी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से जारी हमलों पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कार्यकाल में जब पूरे देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) घटकर माइनस 23 प्रतिशत पर जा पहुंचा हो तो उस पार्टी के नेताओं को वित्तीय हालात पर कुछ भी कहने का नैतिक अधिकार नहीं हैं।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे आज यहां कहा कि यदि पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार में वित्तीय प्रबंधन दुरुस्त था तो खजाना खाली क्यों था।
एक ओर केंद्र की भाजपा सरकार ने कोरोना काल में झारखंड को समय पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बकाया भुगतान में आनाकानी करती, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के कहने पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने झारखंड सरकार के खाते से दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के बकाया भुगतान के नाम पर 2100 करोड़ रुपये काटने का काम किया, लेकिन भाजपा नेताओं का मुंह केंद्र सरकार की इस नाइंसाफी पर एक भी नहीं खुला।
वहीं तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद झारखंड सरकार ने अपने खाते से किसानों की कर्जमाफी कर न सिर्फ चुनावी वायदे को पूरा किया, बल्कि कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा के माध्यम से रिकॉर्ड मानव दिवस सृजन कर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का काम किया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा विधायक को झारखंड की जनता के हित में केंद्र में बैठे अपने नेताओं से बातचीत कर जीएसटी का समय पर भुगतान के साथ ही डीवीसी के बकाया भुगतान के मद में काटी गयी राशि को वापस दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। राज्य के भाजपा विधायक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों पर झारखंड सरकार के बकाया भुगतान पर भी कुछ नहीं बोल रहे है,झारखंड की जनता को राशि में कटौती से हो रही परेशानी पर उनकी चुप्पी भाजपा नेताओं के दोहरे चाल और चरित्र को उजागर करती है।