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दुनिया का हर छठा बच्चा घोर गरीबी में, कोरोना से यह संख्या बढ़ने की आशंका : UNICEF

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 21 2020 1:13PM | Updated Date: Oct 21 2020 1:14PM
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संयुक्त राष्ट्र। कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले दुनिया का हर छठा बच्चा (करीब 35.6 करोड़) घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहा था और यह स्थिति और खराब होने की आशंका है। यह आकलन विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की नवीनतम विश्लेषण रिपोर्ट में किया गया है। 'ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रेन इन मॉनिटरी पॉवर्टी ऐन अपडेट' नाम से जारी रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि उप सहारा क्षेत्र जहां पर सीमित समाजिक सुरक्षा ढांचा है, वहां दो तिहाई बच्चे ऐसे परिवारों में रहते हैं जो रोजाना 1.90 डॉलर या इससे कम राशि पर जीवनयापन करते हैं, जो विश्व मानकों के तहत घोर या अत्याधिक गरीबी की श्रेणी में आता है।
 
वहीं दक्षिण एशिया में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों का पांचवां हिस्सा (करीब 20 प्रतिशत) निवास करता है। रिपोर्ट में किए गए विश्लेषण के मुताबिक वर्ष 2013 से 2017 के बीच घोर गरीबी में जीवनयापन करने वाले बच्चों की संख्या में 2.9 करोड़ की कमी आई है हालांकि, यूनीसेफ और विश्व बैंक समूह ने चेतावनी दी है कि हाल के वर्षों में की गई प्रगति की गति मंद है और असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था और महामारी की वजह से पड़ने वाले असर की वजह से खतरे में है।
 
यूनीसेफ के कार्यक्रम निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा कि हर छह में से एक बच्चा गंभीर गरीबी में जीवनयापन कर रहा है और हर छह बच्चों में से एक बच्चा जीने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह संख्या ही किसी को भी हिला सकती है और महामारी की वजह से जो वित्तीय संकट आया है उससे यह संख्या और विभिषीका और विकराल रूप ही लेगी।
 
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