नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 01 फरवरी को देश का आम बजट पेश करेंगी। इस बार के बजट में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो फंड का बाट जोह रहे हैं। इसमें टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर भी शामिल है जिसे वित्त मंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर और नियार्त की स्थिति में वस्तु एवं सेवा कर (GST) और युक्तिसंगत बनाया जा सकता है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में टूरिज्म आय का बड़ा स्रोत हो सकती है। इससे विदेशी मुद्रा की आय को बढ़ावा दिया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठा सकती है। इनमें से एक घरेलू यात्रा क्रेडिट नीति बनाना और एक प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत स्थापित करना शामिल हैं। इसके साथ-साथ सरकार बजट के जरिए ट्रैवल एजेंटों और टूर ऑपरेटरों के लिए एक अंडरराइटिंग फंड भी बनाने पर विचार कर सकती है। ऐसा करने से इस क्षेत्र के एजेंटों में पहले से कहीं ज्यादा विश्वास पैदा किया जा सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कई दशकों से भारत का टूरिज्म बुनियादी ढांचे के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने देश में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी में उछाल देखने को मिला है। वहीं, उद्योग को अभी भी पूरी तरह से उबरने के लिए सरकार के समर्थन की आवश्यकता है। सरकार को पर्यटन को एक उद्योग का दर्जा देना चाहिए और सभी राज्यों को पर्यटन अनुकूल नीतियों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करना होता है।
वहीं, एक रात के लिए 1000 से कम के होटल रूम बुक करने पर लगाने वाले 12 फीसदी के जीएसटी पर विचार करने की जरुरत है। इसकी वजह से यात्रा के दौरान होने वाले खर्च में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ट्रैवल कॉस्ट पहले से ही बढ़ा हुआ है। ऐसे में फिलहाल ये टैक्स रेट लोगों को यात्रा करने में कहीं न कहीं कठिनाई पैदा कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर पर्टयन क्षेत्र को सरकार की समर्थन की जरुरत है, क्योंकि आगे चलकर देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग बड़ी भूमिका निभा सकता है।