नई दिल्ली। Cryptocurrency मार्केट कैपिटलाइजेशन पिछले 24 घंटों के दौरान 2.27 ट्रिलियन डॉलर से गिरकर 2।20 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई है। जबकि, ट्रेडिंग वॉल्यूम शुक्रवार को 105.35 अरब डॉलर से बढ़कर 106.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया। ग्लोबली बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में, बिटकॉइन 1।05 फीसदी की थोड़ी गिरावट के साथ 38,96,376 रुपये पर पहुंच गया। जबकि, Ethereum करीब 5 फीसदी की गिरावट के साथ 3,22,112 रुपये पर आ गया। Cardano और Avalanche 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ क्रमश: 99.89 रुपये और 6,524 रुपये पर आ गए। जबकि, Polkadot एक फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 2,258 रुपये पर पहुंच गया है। Litecoin 12,340 के स्तर पर ट्रेड कर रही है। इसमें पिछले 24 घंटों के दौरान करीब एक फीसदी की गिरावट देखी गई है। Tether पिछले 24 घंटों के दौरान 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ 80.98 रुपये पर आ गया है। दूसरी तरफ, Binance Coin 3 फीसदी की गिरावट के साथ 45,424 रुपये पर आ गया है। XRP की कीमत पिछले 24 घंटों में 5 फीसदी घटी है। यह क्रिप्टोकरेंसी 65।89 रुपये पर मौजूद है। वहीं, Dogecoin पिछले 24 घंटों के दौरान 4।13 फीसदी की गिरावट के साथ 13।4 रुपये पर आ गया है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उभरती टेक्नोलॉजीज जैसे क्रिप्टोकरेंसी को लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि उसे नुकसान पहुंचाने के लिए। देश में सांसदों का कहना है कि डिजिटल करेंसी में अनरेगुलेटेड ट्रांजैक्शंस मैक्रो इकॉनोमिक और वित्तीय स्थिरता को नुकसान हो सकता है। मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए संसद में बिल पेश करने की तैयारी कर रही है। इससे पहले रिपोर्ट्स थीं कि सरकार की क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की योजना है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में अनुमानित 15 मिलियन से 20 मिलियन क्रिप्टोकरेंसी निवेशक मौजूद हैं। इंडस्ट्री के आकलन के मुताबिक, देश में कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स करीब 400 अरब रुपये (5.29 बिलियन डॉलर) की है। हालांकि, सरकार कोई भी आधिकारिक डेटा नहीं देती है। सरकार ने हाल में ही कहा भी था कि वह बिटकॉइन के ट्रांजैक्शंस को ट्रैक नहीं कर रही है। यानी सरकार को नहीं पता कि कहां से कितना पैसा क्रिप्टो ट्रेड में लग रहा है और इसका किस तरह से इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार के बिल में रिजर्व बैंक, सेबी और आयकर अधिकारियों को क्रिप्टो ट्रेड से जुड़े लोगों के KYC डेटा एक्सेस करने की इजाजत होगी। यानी इन एजेंसियों को पता होगा कि कौन बंदा इसमें कितना पैसा लगा रहा है और ये पैसा कहां जा रहा है।