नई दिल्ली। भारत अपनी कोकिंग कोयले की 50 प्रतिशत जरूरत को रूस से आयात के जरिये पूरा कर सकता है। उद्योग के एक शीर्ष कार्यकारी ने यह राय जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोकिंग कोयले के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच करार को मंजूरी दी गई। अभी भारत इस्पात विनिर्माण में काम आने वाले इस प्रमुख कच्चे माल के लिए कुछ चुनिंदा देशों से आयात पर निर्भर है।
जिंदल स्टील एंड पावर लि. जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, 'सरकार ने यह आगे की सोच का फैसला लिया है। इससे रूस की खनन कंपनियां भारत की इस्पात मिलों को कोकिंग कोयले की आपूर्ति कर सकेंगी। भारत कम से कम 50 प्रतिशत कोकिंग कोयले का आयात रूस से कर सकता है। शेष का आयात अन्य देशों से किया जाएगा।'
भारत की कोकिंग कोयले की करीब 85 प्रतिशत जरूरत को आयात के जरिये पूरा किया जाता है। रूस के साथ सहयोग के करार से कोकिंग कोयले के लिए भारत की ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भरता कम हो सकेगी। शर्मा ने कहा, 'इससे प्रति टन इस्पात उत्पादन की लागत भी कम होगी, क्योंकि रूस भौगोलिक रूप से अन्य देशों की तुलना में भरत के नजदीक है।'
रुस के साथ समझौते को मंजूरी देने को बाद सरकारी बयान में कहा गया था कि इस एमओयू से पूरे इस्पात क्षेत्र को इनपुट लागत कम होने का लाभ मिलेगा। इससे देश में इस्पात की लागत में कमी आयेगी और समानता को बढ़ावा मिलेगा। वहीं भारत और रूस के बीच कोकिंग कोल क्षेत्र में सहयोग के लिए, यह समझौता ज्ञापन एमओयू) एक संस्थागत व्यवस्था प्रदान करेगा। साथ ही इस समझौता ज्ञापन एमओयू) का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में भारत सरकार और रूस सरकार के बीच सहयोग को मजबूत करना है। सहयोग में शामिल गतिविधियों का उद्देश्य कोकिंग कोल के स्रोत में विविधता लाना है।