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महंगाई : चीन ने बिगाड़ा हर घर का बजट, भारतीयों के लिए घर खर्च चलाना भी मुश्किल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 29 2021 4:41PM | Updated Date: May 29 2021 4:42PM
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कोरोना वायरस महामारी के चलते लगाई गई पाबंदियों की वजह से कई लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। काम बंद होने से वह अपने गांव की ओर लौट गए। वहीं लॉकडान के बीच बढ़ती महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है। दैनिक क्रिया में प्रयोग किए जाने से लेकर खाद्य तेल तक काफी महंगे हो गए हैं। तेल की बढ़ी कीमत ने भोजन का जायका बिगाड़ दिया है। इससे गृहणियां परेशान है। लोगों के लिए घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। महंगाई के इस दौरान में बस किसी तरह से लोग जीवन-यापन करने में जुटे हुए हैं।

चीन ने बिगाड़ा हर घर का बजट

पड़ोसी देश चीन की वजह से देश की सीमा पर पहले ही तनातनी है। अब उसके कारण घर का बजट भी बिगड़ रहा है। चीन में खाद्य तेलों की खपत बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आया है, जिसका सीधा असर भारत के घरेलू बाजार पर पड़ा है और आम आदमी का बजट बिगड़ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अपनी कुल खाद्य तेल की जरूरत का बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात करता है। चीन में बढ़ती खपत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आए उछाल से घरेलू बाजार में भी कीमत बढ़ी है।

भारत में चरम पर है महंगाई

भारतीय बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतें 170-180 रुपये प्रति लीटर से 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं। इससे किचन के साथ-साथ नाश्ते में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं।

क्या कहते हैं खपत और आयात के आंकड़े?

दी सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर आयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड के अनुसार, अनुमानत: भारत में प्रति वर्ष लगभग 2।5 करोड़ लीटर खाद्य तेल की खपत होती है।

अपने घरेलू उत्पादन से भारत इसमें से केवल 90 लाख लीटर के आसपास की जरूरत पूरी कर पाता है। बाकी 1।40 या 1।50 करोड़ लीटर खाद्य तेल के लिए भारत अर्जेंटीना, कनाडा, मलयेशिया, ब्राजील और अन्य दक्षिणी अमेरिकी देशों पर निर्भर करता है।

भारत अपनी कुल खाद्य तेल की जरूरत का 70 फीसदी हिस्सा विदेशों से आयात करता है, जिसके लिए भारत भारी कीमत चुका रहा है। वर्ष 1994-95 में भारत अपनी कुल जरूरत का केवल 10 फीसदी हिस्सा खाद्य तेल आयात करता था। एक अनुमार के अनुसार, केवल खाद्य तेलों के आयात पर भारत प्रति वर्ष 75-80 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है जो भारत के कुल आयात का लगभग 2।5 फीसदी है।

अचानक क्यों बढ़ रही है चीन में खाद्य तेलों की खपत?

दरअसल चीन की विशाल आबादी के खानपान में बदलाव आ रहा है। सामान्य तौर पर चीन के समाज में उबले भोजन की प्रमुखता थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खानपान का चलन बढ़ने से वहां अब तले भोजन की खपत बढ़ रही है। ऐसे में अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए चीन अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल खरीद रहा है, जिसके कारण कीमतें बढ़ रही हैं। मालूम हो कि खानपान में बदलाव के कारण केवल चीन में ही नहीं, भारत में भी खाद्य तेलों की मांग नहीं बढ़ी है।

क्या है सरकार की योजना?

भारत अपनी कुल खपत का लगभग 30 फीसदी खाद्य तेल उत्पादित करता है। सरकार की योजना है कि अगर भारत के खाद्य तेल का उत्पादन वर्ष 2025-30 तक बढ़ाकर तीन गुना कर दिया जाए, तो देश को इस मामले में आत्मनिर्भर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार खाद्य तेलों की खेती का रकबा बढ़ाने के साथ जीएम सीड्स का इस्तेमाल बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। 

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