कोरोनावायरस लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और ज़्यादा पस्त हो गई है। आज रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 फ़ीसदी की गिरावट आ सकती है। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में तेज़ी आएगी और जनवरी-मार्च तिमाही में यह सकारात्मक दायरे में पहुंच सकती है।
इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अनुमान के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बुधवार को शुरू हुई बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “अप्रैल- जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गयी है और अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण दिखने लगी है। मुद्रास्फीति भी 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर तय लक्ष्य के दायरे में आ सकती है।” खुदरा मुद्रास्फीति हाल के महीनों में छह फीसदी से ऊपर पहुंच गई। आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। सरकार ने आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है।
RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव : रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने रेपो रेट को 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बनाए रखा है। रेपो रेट में बदलाव न होने का मतलब ये हुआ कि ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिलेगी। रेपो रेट में कुछ बदलाव होगा, इस बात की उम्मीद पहले से भी कम थी। अगस्त में भी पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ था. हालांकि फरवरी 2019 से अब तक रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बड़ी कटौती हो चुकी है।