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लार्सन एंड टुब्रो की राजपुरा थर्मल प्लांट को बेचने की तैयारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 9 2020 3:23PM | Updated Date: Sep 9 2020 3:24PM
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जालंधर। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने बिजली उत्पादन व्यवसाय से हटने का फैसला करते हुए पंजाब सरकार से आग्रह किया है कि वह कंपनी के 1400 मेगावाट के राजपुरा थर्मल प्लांट को राज्य के स्वामित्व वाले बिजली उत्पादन थर्मल संयंत्र के तौर पर खरीद ले। कंपनी के निदेशक डी के सेन ने पंजाब सरकार को लिखे एक पत्र में दावा किया है कि उन्होंने परियोजना पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उन्होंने बताया कि निवेशित इक्विटी 2688 करोड़ रुपये है जबकि 7002 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
 
पत्र में परियोजना के विभिन्न लाभों को सूचीबद्ध किया गया है, जैसे विश्वसनीय जापनीज सुपर क्रिटिकल प्रौद्योगिकी, उच्च परिचालन दक्षता, एक और अतिरिक्त इकाई को जोड़ने का अवसर,अपनी पछवारा कोयला खदान से सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के उपयोग के माध्यम से पीएसपीसीएल के लिए कम कीमत पर बिजली का उत्पादन आदि। सेन ने बताया कि राजपुरा थर्मल प्लांट ने पिछले छह वर्षों के दौरान पीएसपीसीएल को 47500 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति की है जिसके लिए पीएसपीसीएल ने 1369 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जिसमें इस वर्ष 31 मार्च तक 734 करोड़ रुपये के फिक्स चार्ज शामिल हैं।
 
कंपनी ने संयंत्र की पहली यूनिट फरवरी 2014 में  और दूसरी यूनिट जुलाई 2014 में चालू की थी। थर्मल विशेषज्ञों के अनुसार, एलएंडटी की ओर से  छह साल पुराने बिजली संयंत्र के लिए मांगी गई रकम काफी ज्यादा है, जो इस संयंत्र को पीएसपीसीएल के लिए गैर-लाभकारी कंपनी बना सकती है। उनके अनुसार 1400 मेगावाट पर वास्तविक लागत प्रति मेगावाट पांच करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, इस प्रकार यह 7,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और उस पर संयंत्र के मूल्यह्रास मूल्य पर विचार किया जा सकता है।
 
रोपड़ थर्मल प्लांट के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया कि इस संयंत्र की एकमुश्त खरीद में जाने से पहले, सीएजी/सीईए जैसी केंद्रीय सरकार की एजेंसी द्वारा कुछ तकनीकी ऑडिट द्वारा प्लांट की वास्तविक कीमत पर पहुंचने का प्रस्ताव किया जा सकता है। खरीद की पद्धति के अनुसार इस विषय पर बहस की आवश्यकता है। सामान्य तौर पर, एलएंडटी को इस संयंत्र की बिक्री के लिए एक निविदा के साथ सामने आना चाहिए था, ताकि पीएसपीसीएल सहित सभी इच्छुक लोग इसे खरीदने के लिए सामने आ सकते।
 
एलएंडटी के उद्धृत मूल्य पर संयंत्र को खरीदना केन्द्र सरकार के प्रतिस्पर्धी खरीद गाइड लाइन्स के खिलाफ होगा क्योंकि यह एक एकल निविदा  की तरह होगा। हाल ही में एनपीएल विभिन्न अदालती मामलों के माध्यम से पीएसपीसीएल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने में सफल रहा है। इसमें कोयले की धुलाई के लिए 1400 करोड़ का भुगतान शामिल है और अब एफजीडी पर हाल ही में अपीलीय ट्रिब्यूनल के फैसले के साथ, यह लागत 3000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। 
 
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