नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश में हुए पांच बड़े बदलावों को उल्लेखित करते हुए सोमवार को कहा कि इन बदलावों को 'संरचानत्मक परिवर्तन' में बदले जाने की जरूरत है और बदलती परिस्थितियां भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में हैं। दास ने उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को संबोधित करते हुये कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को उल्लेखनीय लाभ होंगे क्योंकि आने वाले समय में भारतीय उद्योग की भूमिका बहुत अहम रहने वाली है, जिसे 'साइलेंट रिवोल्यूशन' का नाम दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत को इस समय वैश्विक संवर्धन चेन (जीवीसी) का हिस्सा बनने की दिशा में काम करना चाहिए। कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी की वजह से जीवीसी में हुए बदलाव से भारत के समक्ष अवसर उत्पन्न हो गए हैं। उन्होंने कहा कि गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और बैंकों को किसी भी तरह की परिस्थिति उत्पन्न होने से पहले कोविड -19 से संबंधित तनाव परीक्षण से गुजरने और पूंजी जुटाने की सलाह दी गयी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि भारत को अमेरिका और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत को कृषि आय में सतत् वृद्धि वाली नीतियों की जरूरत, हाल के कृषि क्षेत्र सुधारों से नये अवसर खुले हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में काम काज बढ़ाने से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों को इस क्षेत्र के विकास में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिय। इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को प्रोत्साहित करने से वृद्धि को नई गति दी जा सकती है। बुनियादी ढांचा के विकास में निजी और सरकारी क्षेत्र दोनों को अहम भूमिका निभानी होगी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बॉन्ड मार्केट में एक बार से गतिविधियां देखने को मिली हैं। पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट बॉन्ड जारी किए गए। उन्होने उद्योग को आश्वस्त करते हुए कहा कि केन्द्रीय बैंक बहुत अधिक सतर्क है और जरूरत पड़ने पर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।