नई दिल्ली। माइक्रोफाइनेंस उद्योग में 2019-20 में सालाना 23 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी। उद्योग का 2019-20 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में माइक्रोफाइनेंस सेक्टर का सकल ऋण पोर्टफोलिया (जीएलपी) सालाना नौ फीसदी और त्रैमासिक 23 फीसदी वृद्धि के साथ 232.2 हज़ार करोड़ रुपए दर्ज किया गया। इस वर्ष मई तक जीएलपी 232.2 हजार करोड़ रुपये था जो पिछली तिमाही के तुलना में नौ फीसदी अधिक है। मई 2020 तक इस उद्योग के चालू ग्राहकों की संख्या 6.3 करोड़ थी।
करीब 10.9 करोड़ सक्रिय ऋणों के साथ वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में माइक्रोफाइनेंस में इस उद्योग के बैंकों की सबसे बड़ी यानी 40 फीसदी हिस्सेदारी है। माइक्रोफाइनेंस ने वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले 3.5 फीसदी वृद्धि के साथ 65,610 करोड़ रुपये वितरित किये गए। उद्योग में कोरोना वायरस (कोविड-19) और लॉकडाउन के प्रभाव के कारण इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में वितरण पूरे माह के कुल वितरण का महज 1.75 फीसदी था, जबकि मार्च 2019 के अंतिम सप्ताह में इसका अनुपात 45 फीसदी था।
माइक्रोफाइनेंस में ऋणियों की संख्या करीब इस साल 6.3 करोड़ रही जिसमें पिछले साल की तुलना में 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी। इस उद्योग में करीब 10.9 करोड़ सक्रिय रिण हैं। वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 65,610 करोड़ रुपये के 1.76 करोड़ लोन वितरित किये गए, मूल्य के पैमाने पर पिछले साल की चौथी तिमाही में 35 फीसदी वृद्धि की तुलना में 3.5 फीसदी की कम वृद्धि हुई।
वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में 33.1 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ बाज़ार में पूर्वी क्षेत्र का दबदबा कायम रहा, इसके बाद दक्षिण क्षेत्र 26.8 फीसदी, पश्चिम क्षेत्र 14.9 फीसदी, उत्तरी क्षेत्र 11 फीसदी, मध्य क्षेत्र 7.8 फीसदी, और पूर्वोत्तर क्षेत्र 6.4 फीसदी की हिस्सेदारी रही। माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने मार्च 2020 तक देश के प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु में 14.2 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 14 फीसदी और बिहार में 11.16 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा।