नई दिल्ली। भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) विशेष जंगरोधी सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस इस्पात बनाने की तकनीक विकसित करने वाली दुनिया की चुनिंदा कंपनियों में शामिल हो गई है। सेल के तमिलनाडु के सेलम स्थित इस्पात संयंत्र ने एसएस 32205 ग्रेड का सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस इस्पात बनाने की क्षमता हासिल की है, जो जंगरोधी इस्पात के तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता है। अब तक स्टेनलेस स्टील का यह ग्रेड मुख्य रूप से आयात किया जाता है।
सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील बेहद मजबूत और टिकाऊ होने के साथ ही उच्च स्तर का जंगरोधी इस्पात भी है। इस इस्पात का उपयोग रसायन प्रसंस्करण उपकरण (परिवहन और भंडारण, प्रेशर वेसेल्स, टैंक, पाइपिंग और हिट एक्सॉस्ट) में किया जा सकता है। तेल और गैस की खोज (प्रसंस्करण उपकरण, पाइप, ट्यूबिंग, समुद्री और अन्य उच्च क्लोराइड वातावरण), लुगदी और कागज उद्योग (डाइजेस्टर और ब्लीचिंग उपकरण), खाद्य प्रसंस्करण उपकरण और जैव ईंधन संयंत्र में भी इसका उपयोग प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
इन सभी कार्यों के लिए इस्पात का मजबूत होने के साथ ही जंगरोधी होना भी जरूरी है। इससे पहले सेल के सेलम संयंत्र ने डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील (एसएस 32202 ग्रेड) का विकास किया था। सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील का उत्पादन करने की नयी क्षमता के साथ सेल ने अपनी उत्पाद विविधता को और अधिक समृद्ध किया है।
सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने कहा, ‘‘भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत और ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान से प्रेरित होकर सेल ऐसे इस्पात के विकास में लगातार लगा हुआ है जो इन अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस हाई-एंड-ग्रेड का विकास इसी दिशा में एक प्रयास है। हम ‘मेकिंग इन इंडिया’ और ‘मेकिंग फॉर इंडिया’ में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाने और जो देश के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए आवश्यक इस्पात की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं।’’