नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया में कुछ कर्मचारियों को निकालने और कुछ कर्मचारियों को बिना वेतन अवकाश पर भेजने के फैसले को सही ठहराते हुये आज कहा कि एयरलाइन का अस्तित्व बचाने के लिए खर्च में कटौती अनिवार्य थी।
पुरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि यदि एयरलाइन बंद हो जायेगी तो किसी की नौकरी नहीं बचेगी। इसलिए खर्च कम करना जरूरी हो गया है। सरकार पर इस समय कोविड-19 महामारी के कारण पहले से काफी वित्तीय दबाव है और ऐसे में हर साल इक्विटी के रूप में 500-600 करोड़ रुपये की मदद नहीं दे सकती।
उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया ने सेवानिवृत्ति के बाद दुबारा रखे गये कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। साथ ही अनुबंध पर रखे जिन कर्मचारियों की अनुबंध की अवधि समाप्त हो गयी है, उनका अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा उसने कुछ कर्मचारियों को छह महीने से पांच साल तक के बिना वेतन अवकाश पर भेजने की भी योजना बनाई है। इसके लिए कर्मचारी के स्वास्थ्य, कार्यक्षमता और अनुपस्थिति के पिछले रिकॉर्ड को आधार बनाया जायेगा। साथ ही पायलटों और केबिन-क्रू साथ वेतन कटौती पर भी बात चल रही है।
एयर इंडिया के अध्यक्ष राजीव बंसल ने बताया कि कंपनी लागत कम करके ऋण का बोझ कम करना चाहती है। कर्मचारियों के वेतन आदि के मद में होने वाला खर्च कम करने के अलावा विमानों का किराया कम करने के लिए उन कंपनियों से बात कर रही है जिनसे विमान पट्टे पर लिये गये हैं। इसके अलावा परिचालन लागत कम करने के लिए उन होटलों के साथ भी किराया कम करने के लिए बात चल रही है जहां विश्राम के दौरान चालक दल के सदस्यों को ठहराया जाता है।
अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ भी बातचीत चल रही है। पुरी ने कहा कि इस समय सभी विमान सेवा कंपनियों के पास जरूरत से ज्यादा विमान और कर्मचारी हैं। ऐसे में यदि पैसों की कमी के कारण एयर इंडिया बंद हो जाती है तो सभी कर्मचारी बेरोजगार हो जायेंगे। उन्होंने कुछ विपक्षी सांसदों के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर एयर इंडिया के लिए खरीदार आकर्षित करने की कोशिश है।