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सब्जी उगाई की नई तकनीक : दीवार के साथ सब्जियों की खेती

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 9 2020 12:35PM | Updated Date: Feb 9 2020 12:36PM
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नई दिल्ली। खेती के लिए सिकुड़ती जमीन के कारण न केवल दीवारों के साथ सब्जियों की खेती की जा सकती है बल्कि दीवारों को सब्जियों से सजाया भी जा सकता है और इसके लिये न तो मिट्टी की और न ही कीटनाशकों के छिड़काव की जरुरत होती है। खेती की कम होती जमीन और रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव के कारण जागरुक लोगों में अपने उपयोग के लिये सब्जी घर पर उगाने में दिलचस्पी बढ़ रही है।  कई लोग उत्साहित होने के बावजूद सब्जी उत्पादन के लिए समुचित जगह के उपलब्ध न होने के कारण शौक पूरा नहीं कर पाते हैं। आज एक छोटे से स्थान का उपयोग करके घरेलू उपयोग के लिये यह संभव है।
 
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ (सीआईएसएच) के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार लौकी, खीरा , कद्दू, सेम जैसी लता वाली सब्जियाँ उगाना कम जमीन में संभव है, लेकिन हरी सब्जियों के लिए अधिक जगह की जÞरूरत होती है। सीआईएसएच ने विशेष तौर पर ऐसी डिजाइन विकसित की है जिन मॉडलों में सीमित स्थान में बिना मिट्टी के सब्जी उगाना सरल हो गया है। डॉ. राजन ने बताया कि अधिकांश घरों में दीवारों के साथ-साथ एक फुट की पट्टी पर इस कार्य को किया जा सकता है। पौधों के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है जो ज्यादातर छतों और आधुनिक घरों में नहीं होती है। फर्श भी सीमेंट का होता है।
 
सीआईएसएच ने कुछ मॉडल विकसित किए हैं और उनका उपयोग करके विभिन्न प्रकार की सब्जियों को उगाना संभव है, वो भी बिना मिटटी के।  प्याज, मेथी, पालक, धनिया, सलाद, चुकंदर, पत्तगोभी  और कई अन्य सब्जियां दस प्रकार से सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। मिट्टी के अधिक वजन के कारण छत पर पौधें उगने के लिए हल्के वजन वाले मिश्रण का उपयोग किया जा सकता है। कई विकल्पों पर शोध किया गया और फसलों के चुनाव पर भी अध्यन किया गया।
 
इस प्रकार के खेती के मॉडल में रोग और कीट के प्रबंधन के लिए कीटनाशकों प्रयोग की आवश्यकता लगभग न के बराबर होती है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एस आर सिंह  ने कई मॉडल विकसित किए, जिन्हें उपलब्ध स्थान के अनुसार समायोजित किया जा सकता है। उन्हें बालकनी में या दीवार के साथ पर पक्के फर्श पर रख सकते हैं। ज्यादातर, लोग सजावटी पौधों का उपयोग दीवारों को सजाने के लिए करते हैं।
 
इन पौधों को उगाने के लिए कई रेडीमेड प्लास्टिक के कंटेनर उपलब्ध हैं, लेकिन दीवार के साथ उगने वाली सब्जियों के लिये विशेष डिजाइन के कंटेनर बाज़ार में उपलब्ध नहीं हैं जिसे दीवार के साथ खड़ा किया सके। ये संरचनाएं छत पर मिट्टी को छत से छूने नहीं देते हैं फलस्वरूप छत में सीलन का खतरा नहीं होता है। संस्थान के इस प्रयास ने कई शहरी उद्यमियों को परिवार के लिए सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ घरेलू उपयोग के लिए सब्जी उगाने के लिए इस तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है।
 
सब्जियों को उगने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे उपयुक्त है, लेकिन स्थान के अनुसार, कई फसलों  को अधिकांश मौसमों में उगाया जा सकता है। बरसात में सब्जियों को खुले में नहीं उगाया जा सकता है, वे अधिक पानी के कारण सड़ सकती हैं। लेकिन इस पद्धति से मूसलाधार बारिश पौधों को आसानी से बचाया जा सकता है। जब बाजार में सब्जियां अधिक कीमत पर मिलती हैं, तो खुद की उगाई गई सब्जियां उत्पादकों को विशेष संतुष्टि देती हैं।
 
ये संरचनाएं पुदीना, बेसिल, पत्तेदार सब्जियों जैसे धनिया तथा हर्ब्स जिनका उपयोग थोड़ी मात्रा के लिए विशेष रूप से अत्यधिक उपयुक्त हैं। इस तरह की पद्धति से चिकोरी, पार्सले और बान्चिंग प्याज जैसी विदेशी सब्जियों की भी अच्छी पैदावार होती हैं। लेट्यूस, चिकोरी, पालक, स्विस चार्ड छोटी सी जगह पर शानदार पत्ते विकसित करते हैं। इन नवीन तरीकों को अपनाकर एक छोटे परिवार के लिए काफी सब्जियां उगाई जा सकती हैं।
 
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