नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन क्षेत्र से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने, इन नियमों के संबंध में केंद्र सरकार को अंतिम अधिकार और अर्द्धसैनिक बलों के विमानों एवं हेलीकॉप्टरों को विमान अधिनियम, 1934 से छूट देने संबंधी विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के विरोध के बीच विमान (संशोधन) विधेयक, 2020 सदन में पेश किया। विधेयक के तहत नागर विमानन महानिदेशालय, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो के निर्देशों तथा नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माना 10 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने का प्रावधान है।
विपक्ष ने यह कहकर विधेयक को पेश करने का विरोध किया कि उसे दो दिन पहले इसकी प्रति उपलब्ध नहीं करायी गयी है। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अभी विधेयक पर चर्चा नहीं करायी जा रही है और उन्हें विधेयक के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय दिया जायेगा। विधेयक के नियम बन जाने पर केंद्र सरकार को यह अधिकार मिल जायेगा कि वह इन एजेंसियों द्वारा बनाये गये किसी भी नियम को रद्द कर सके या उनमें कोई बदलाव कर सके।
यह भी प्रावधान किया गया है कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा से जुड़े किसी मामले में कोई भी अदालत संज्ञान नहीं ले सकेगी। इनसे जुड़े मामलों की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से नीचे की किसी भी अदालत में सुनवाई नहीं हो सकेगी। सरकार ने इस अधिनियम के जरिये यह भी प्रस्ताव किया है कि तीनों सेनाओं के साथ ही सभी सशस्त्र बलों के विमानों, हेलिकॉप्टरों एवं हवाई अड्डों को विमान अधिनियम से बाहर रखा जाये। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के विमान पहले से ही इस अधिनियम के दायरे से बाहर हैं।