नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में एक लाख 68 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमी आयी है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने यहां लोकसभा में प्रश्नकाल में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। ठाकुर ने कहा कि सरकार के प्रयासों एवं विभिन्न स्तरों पर उठाये गये कदमों के परिणाम स्वरूप सरकारी बैंकों के एनपीए में काफी कमी आयी है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2015 को सकल एनपीए दो लाख 79 हजार 16 करोड़ रुपए था जो 31 मार्च 2018 को बढ़कर आठ लाख 95 हजार 601 करोड़ रुपए हो गया था। ठाकुर ने कहा कि पहचान, समाधान, पुनर्पूंजीकरण, एवं सुधार की कार्यनीति के कारण 30 सितंबर 2019 को सरकारी बैंकों का सकल एनपीए सात लाख 27 हजार 296 करोड़ रुपए हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि 31 मार्च 2008 को सरकारी बैंकों का सकल ऋण 18 लाख 19 हजार 74 करोड़ रुपए था लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासनकाल में दोनों हाथों से खुलकर लुटाने के कारण यह राशि 31 मार्च 2014 में बढ़कर करीब 52 लाख 15 हजार 920 करोड़ रुपए हो गयी। इसी के साथ ही बैंकों में धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ गये।