श्रीनगर। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर इलाके में घुसपैठ बढ़ाने के लिए अपने सभी आतंकी कैम्प और लॉन्च पैड को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थानांतरित कर दिया है। न्यूज़18 को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी में यह बात सामने आई है। सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि इन आतंकी शिविरों में लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन के लोग भर्ती किए गए हैं।
न्यूज़18 द्वारा देखे गए रूट मैप में घुसपैठियों को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गोलीबारी की किसी भी घटना से बचने के लिए कई प्रवेश मार्गों का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है। न्यूज़18 को मिले नए खुफिया इनपुट के मुताबिक, सभी लॉन्च पैड पर प्रशिक्षित आतंकवादी हैं, जिन्हें सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा संचालित किया जाता है।
यह पता चला है कि एलओसी पर आतंकवादियों का प्रवेश आईएसआई के लिए “बोनस” होगा। हालांकि, पाकिस्तान ने पहले से ही हाइब्रिड किलिंग के लिए श्रीनगर और उसके आसपास ड्रोन के माध्यम से लगभग 300 छोटे हथियार पहुंचा दिए हैं। शीर्ष भारतीय खुफिया सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन पाकिस्तानी सेना पर सीजफायर तोड़ने का दबाव बना रहे हैं। न्यूज़18 को मिले खुफिया इनपुट से पुष्टि होती है कि आतंकी समूह घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी सेना पर दबाव बना रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि एक बड़ा प्रशिक्षित कैडर है, उनमें से अधिकांश को अफगानिस्तान में तालिबान ने वापस पाकिस्तान लौटने के लिए मजबूर किया था, जो पेशावर, बहावलपुर और मुजफ्फराबाद में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे थे। भारतीय खुफिया सूत्रों का कहना है कि कैडर घुसपैठ का मतलब है कि पाकिस्तानी सेना एलओसी पर आतंकवादियों का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा, “उनकी कवर फायर हमें जवाबी फायरिंग करने के लिए मजबूर कर देगी और उस स्थिति में इस स्तर पर युद्धविराम कायम रखना मुश्किल होगा।” इससे पहले भी न्यूज18 ने एलओसी के आगे के इलाकों में आतंकी लॉन्च पैड की खबर सामने लाई थी।
ये “सक्रिय” शिविर मुख्य रूप से एलओसी के आगे के क्षेत्रों में स्थित लॉन्च पैड के लिए फीडर के रूप में काम करते हैं, जो गुरेज, केल, नीलम घाटी, तंगधार, उरी चकोटी, गुलमर्ग, पुंछ, राजौरी, नौशेरा और सुंदरबनी सेक्टर में एलओसी से 2-3 किमी दूर हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इन ट्रेनिंग कैंपों पर आतंकी समूहों का कब्जा है, जो पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब प्रांत से युवाओं को भर्ती करते हैं। इन्हें मुख्य रूप से हथियारों और आत्मघाती हमलों का प्रशिक्षण देने के लिए यहां लाया जाता है। सर्दी के मौसम से ठीक पहले ये चले जाते हैं और श्रीनगर में बैठे ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इनके सहारे के तौर पर काम करते हैं। ओजीडब्ल्यू को आईएसआई द्वारा ड्रोन के जरिए भेजे गए हथियार मिलते हैं।