चीन ने अपना राजदूत अफगानिस्तान भेजा है। तालिबान ने उनका जोरदार स्वागत किया। तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि झाओ शेंग का नॉमिनेशन अफगानिस्तान के लिए बड़ी बात है और यह अपने आम में एक संदेश है। ऐसा पहली बार है जब तालिबानी टेकओवर के बाद किसी देश के राजदूत का अफगानिस्तान में इस स्तर पर स्वागत हुआ है।
चीनी राजदूत झाओ की कार बुधवार को पुलिस के काफिले के साथ राष्ट्रपति भवन के पेड़ों से घिरे रास्ते से गुजरती दिखाई पड़ी। वर्दीधारी सैनिकों ने उनका स्वागत किया और प्रशासन के प्रमुख मोहम्मद हसन अखुंद और विदेश मंत्री मुत्ताकी सहित टॉप रैंकिंग तालिबानी अधिकारियों से मुलाकात की। बुधवार को अफगानिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि यह पॉलिटिकल फ्रेमवर्क बनाने, उदारवादी नीतियां अपनाने, “आतंकवाद” से लड़ने और अन्य देशों से दोस्ती कायम करने दिश में आगे बढ़ने की कोशिश है।
तालिबान मान रहा है कि चीनी राजदूत का यह दौरा अन्य देशों को संदेश देगा और वे अफगानिस्तान के साथ संबंधों को फिर से कायम करने के लिए आगे आएंगे। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि राजदूत का यह सामान्य रोटेशन है, और अगर सबकुछ ठीक रहता है तो आगे भी बातचीत बढ़ेगी और चीन-अफगानिस्तान के बीच सहयोग बढ़ेगा।
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को किसी भी देश ने स्वीकार नहीं किया है और मान्यता नहीं दी है। चीन ऐसा पहला देश है जो इस तरफ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि, राजदूत भेजने को लेकर चीन ने अभी साफ नहीं किया है कि वे तालिबानी शासन को मान्यता देंगे या नहीं। कब्जे के बाद तालिबान के कई नेताओं पर नए सिरे से प्रतिबंध लागू किए गए थे, जिनमें कई पर पहले से ही प्रतिबंध लगे थे।
अशरफ गनी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद अफगानिस्तान की हालत गंभीर बनी हुई है। पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए। विदेशी बैंकों में जमा फंडिंग भी फ्रीज कर दी गई। इसके बाद से ही तालिबान अफगानिस्तान को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। विदेशी मदद नहीं मिल रही है और कंपनियां भी वहां जाने से कतराती हैं। अब अगर चीन अफगानिस्तान में अपनी गतिविधियां बढ़ाता है तो यह तालिबानी शासन के लिए सोने पर सुहागा जैसा होगा।