असम कैबिनेट ने केंद्र सरकार को विवादास्पद कानून AFSPA वापस लेने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा सरमा के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात और इस मुद्दे पर चर्चा के चार दिन बाद दिया गया है। हेमंत कैबिनेट का कहना है कि पूरे राज्य से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (एएफएसपीए) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को वापस लिया जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से यह घोषणा एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में की गई थी।
सीएम सरमा ने सोमवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और राज्य से एएफएसपीए को पूरी तरह से हटाने के रोडमैप पर चर्चा की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार अमित शाह के सुझावों के आधार पर आगे कदम उठाएगी। अब उनकी कैबिनेट ने भी AFSPA हटाने की सिफारिश सरकार से की है।
विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (एएफएसपीए), 1958 के तहत अशांत क्षेत्रों में काम करने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इस कानून के तहत गिरफ्तारी और बचाव भी की छूट देता है। सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अगर जरूरी है तो कर्मियों को गोली मारने का भी अधिकार यह कानून देता है।
सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी क्षेत्र या जिले को AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जाता है। बता दें कि असम में अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1990 में लागू की गई थी और फिर स्थिति के आधार पर समय-समय पर बढ़ाई गई। इसे पिछले साल राज्य के दस जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों से हटा दिया गया था और अब इसे आठ तक सीमित कर दिया गया है।
असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, चराइदेव, शिवसागर, गोलाघाट, जोरहाट, कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ जिलों में यह अधिसूचना अभी भी प्रभावी है। बता दें कि पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में सीएम हेमंता बिस्बा सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से एएफएसपीए हटाने का प्रयास करेगी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा था कि,"मैं असम के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि, इस साल के अंत तक, हम असम के हर जिले से AFSPA को हटाने के लिए सार्थक कदम उठाएंगे। यह असम के इतिहास के लिए एक 'अमृतमय' समय होगा और हम उस,दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।