इम्फाल। मणिपुर में तनावग्रस्त दो जिलों के बीच बुधवार को सुरक्षाबलों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स की ओर प्रदर्शनकारियों के एक विशाल समूह ने मार्च करना शुरू कर दिया, जिससे सुरक्षाबलों को आंसू गैस और रबर की गोलियां चलानी पड़ीं। इस घटना में कई लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। मैतेई नागरिक समाज समूहों की प्रमुख संस्था, समन्वय समिति (COCOMI) के आह्वान के बाद, प्रदर्शनकारी मणिपुर के मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र में कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए बाहर आए।
सीओसीओएमआई ने कहा कि वे सरकार की ऐसा नहीं करने की अपील के बावजूद चिन-कुकी-बहुल चुराचनपुर तक मार्च करेंगे। मैतेई बहुल बिष्णुपुर जिले से 35 किमी दूर चुराचांदपुर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इन दोनों जिलों के बीच एक ऐसे क्षेत्र में बैरिकेड लगाए गए हैं, जिसे सुरक्षाबल अस्थायी 'बफ़र ज़ोन' कहते हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा कि फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड के कारण वे टोरबुंग में अपने घर जाने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि जब 3 मई को जातीय हिंसा भड़की तो वे टोरबुंग से भाग गए थे। अधिकारियों ने कहा कि घाटी के सभी पांच जिलों - बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लागू किया गया है। एहतियात के तौर पर विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में सुरक्षाबल भी तैनात किए गए हैं।
चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक कार्तिक मल्लाडी ने कहा, "हम दोनों जिलों के बीच के क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था की स्थिति में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकेंगे। जिला पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आरएएफ, सेना और असम राइफल्स सहित पर्याप्त बल तैनात किए गए हैं।"
एसपी ने कहा, "हम पड़ोसी जिलों काकचिंग और बिष्णुपुर तथा दूसरी तरफ तैनात बलों के साथ समन्वय कर रहे हैं। हम नियमित रूप से मिलते हैं, ताकि चूड़ाचांदपुर या बिष्णुपुर से किसी भी तरह की लामबंदी पर ध्यान दिया जा सके और लोग एक दूसरे के आमने-सामने ना आएं। गौरतलब है कि दो समुदायों के बीच 3 मई को शुरू हुई हिंसक झड़प के बाद से तनाव अब तक कम नहीं हुआ है।