त्रिपुरा विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस चुनाव में प्रद्योत माणिक्य देब बर्मन की पार्टी टिपोर मोथा ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। आगामी चुनाव को लेकर वह काफी आश्वास्त नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी। इस दौरान उन्होंने 'ग्रेटर टिपरालैंड' की अपनी मांग से कोई समझौता नहीं करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस विचारधारा को छोड़कर किसी से कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में बीजेपी से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने एनडीटीवी से साफ कहा, "आदिवासियों के लिए अलग राज्य बनाने की विचारधारा से समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा, "क्या बीजेपी राम मंदिर से भटक गई? वे भी टीएमसी, चंद्रबाबू नायडू, अकाली दल के साथ थे। '
आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग पर बोले टिपरा मोथा प्रमुख ने कहा, "बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन किया, उसके बाद भी आर्टिकल 370 पर अपने स्टैंड से नहीं हटे। तो मैं अपनी मूल विचारधारा से क्यों हटूं?" उन्होंने कहा, "मैं अपनी विचारधारा पर अडिग हूं। भारत सभी समुदायों के लिए एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है लेकिन हम बिना समझौता किए और अपने लोगों का दिल तोड़े बिना लड़ेंगे। "अकेले सरकार बनाने के सवाल पर प्रद्योत माणिक्य देब बर्मन ने कहा, "हम लगभग 40 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और बहुमत के लिए सिर्फ 31 सीटें चाहिए। ऐसे में हमें क्यों सोचना चाहिए कि हम हारने जा रहे हैं?" उन्होंने कहा, "मैं नेताओं के मुंह से निकले शब्दों पर विश्वास नहीं करता।
त्रिपुरा की मूल जनजातियों के लिए ग्रेटर टिपरालैंड राज्य बनाने की मांग पर लिखित आश्वासन मिलने तक किसी के साथ गठबंधन से जुड़ा कोई समझौता नहीं किया जाएगा। "प्रद्योत माणिक्य देब बर्मन ने आजादी के 75 साल तक पूर्वोत्तर राज्यों के साथ भेदभाव होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय दलों के साथ समस्या यह है कि वे हमारी आवाज नहीं सुनना चाहते हैं, इससे वे असहज महसूस करते हैं। "उन्होंने कहा, "जब हम देश के बाकी हिस्सों से बात करते हैं, हम पूर्वोत्तर और त्रिपुरा के दृष्टिकोण से बोलते हैं। " देब बर्मन ने कहा, "चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, केंद्र सरकार को यह महसूस करने की जरूरत है कि यदि पूर्वोत्तर के दूर-दराज के इलाकों में लोगों की भावनाओं और आवाज की अनदेखी करते रहेंगे, तो ऐसी पार्टियां सामने आएंगी। "