बीजिंग। चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। चीनी सेना ने पिछले हफ्ते ताइवान स्ट्रेट(Taiwan Strait) के रास्ते युद्धपोत भेजने के लिए अमेरिका और कनाडा की निंदा की और कहा कि दोनों देशों की उत्तेजक कार्रवाइयों ने इस इलाके की शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया है। ताइवान स्ट्रेट 180 किलोमीटर चौड़ी खाड़ी है जो ताइवान और महाद्वीपीय एशिया के द्वीप को अलग करती है। यह दुनिया में पानी की सबसे भारी पालिश वाली पट्टियों में से एक है, जहां चीन और ताइवान की नौसेना और तटरक्षक जहाज दोनों गश्त करते हैं।
यूएस नेवी डिस्ट्रायर यूएसएस डेवी (डीडीजी-105) और रॉयल कैनेडियन नेवी फ्रिगेट एचएमसीएस विन्निपेग 15 अक्टूबर को ताइवान स्ट्रेट के रास्ते से रवाना हुए हैं। चीनी पीएलए ईस्टर्न थिएटर कमांड के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ईस्टर्न थिएटर कमांड ने पूरे घटनाक्रम में दो युद्धपोतों को ट्रैक और मानिटर करने के लिए अपनी नौसेना और वायु सेना को भेजा है। सीनियर कर्नल शी यी ने जोर देकर कहा कि ताइवान चीन का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि पीएलए ईस्टर्न थिएटर कमांड के सैनिक हर समय हाई अलर्ट पर हैं और सभी खतरों और उकसावे का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। ताइवान में तनाव बढ़ता जा रहा है। ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में लगभग दैनिक घुसपैठ के साथ चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ राजनीतिक दबाव और सैन्य खतरों को बढ़ाने के बाद खाड़ी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इससे पहले बीते महीने भी चीनी सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि उसने ताइवान स्ट्रेट से गुज़र रहे एक ब्रिटिश युद्धपोत को ट्रैक करते हुए उन्हें चेतावनी दी है। युद्धपोत के गुजरने के बाद चीन ने ब्रिटेन पर दुर्भावनापूर्ण व्यवहार रखने का आरोप लगाया था। चीन ताइवान द्वीप को अपना ही हिस्सा मानता है। ब्रिटिश युद्धपोत फिलहाल एचएमएस रिचमंड, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनात एक एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है।
इस जहाज़ को लेकर ट्विटर अकाउंट पर जारी एक बयान में बताया गया है कि ये इस समय वियतनाम की ओर जा रहा है। चीन ने ताइवान के संवेदनशील जलक्षेत्र से युद्धपोत ले जाने के लिए ब्रिटेन की कड़ी निंदा की थी। एचएमएस ने चीनी जहाज के ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट की थी। चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ रहा है। ताइवान जिसका अपना संविधान, सैन्य और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार है। ताइवान एक गृहयुद्ध के दौरान मुख्य भूमि से अलग हो गया जिसके परिणामस्वरूप 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण हो गया। चीन, इस द्वीप को एक अलग प्रांत के रूप में देखता रहा है जबकि ताइपे में अधिकारियों ने एक देश, दो प्रणालियों के लिए चीन के प्रस्ताव को लगातार खारिज कर चुका है