यदि शोधकर्ताओं की मान ली जाए तो घातक कोरोना वायरस से स्थायी राहत मिल सकती है। कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, इससे सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन के विकास की उम्मीद बढ़ी है। इसके जरिये कोरोना महामारी खत्म हो सकती है। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए प्रभावी उपचार की तलाश में निरंतर शोध किए जा रहे हैं।
इसी कवायद में जुटे शोधकर्ताओं को बड़ी सफलता मिली है। उनकी इस खोज से कोरोना महामारी के खत्म होने की उम्मीद जगी है। उन्होंने कोरोना पीड़ितों के नमूनों में पाए गए वायरल प्रोटीन में ऐसे अहम ड्रग-बाइंडिंग पाकेट की पहचान की है, जिससे इस वायरस के खिलाफ ज्यादा प्रभावी उपचारों के विकास की राह खुल सकती है।
प्रोटीओम रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित किए गए अध्ययन में कोरोना वायरस की 27 प्रजातियों और हजारों कोरोना पीड़ितों के नमूनों में वायरल प्रोटीन का विश्लेषण किया गया है। इसी में कोरोना के प्रोटीन से जुड़े इन बेहद सुरक्षित पाकेट की पहचान की गई। नई दवाओं में इन्हें साधा जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरल प्रोटीन की थ्री-डी संरचना के जरिये ड्रग-बाइंडिंग पाकेट की पहचान की जा सकती है।
हालांकि समय के साथ वायरस अपने प्रोटीन पाकेट में बदलाव कर सकता है। इस बदलाव से दवाओं का असर नहीं हो पाता है। उन्होंने बताया कि कुछ ड्रग-बाइंडिंग पाकेट प्रोटीन संबंधी काम के लिए इतने अनिवार्य होते हैं कि उनमें बदलाव नहीं हो सकता। ये पाकेट वायरसों में आमतौर पर समय के साथ संरक्षित हो जाते हैं। इसे निशाना बनाकर कोरोना से मुकाबला किया जा सकता है।