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कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच 44 दिन में राज्यों ने लगाई 41 लाख अतिरिक्त डोज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 26 2021 9:24PM | Updated Date: Jul 26 2021 9:24PM
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भोपाल। देशभर में कोरोना के टीके की किल्लत के बीच अच्छी खबर है। ज्यादातर राज्यों ने शीशी में उपलब्ध एक अतिरिक्त डोज का भी सदुपयोग किया है। एक मई से 13 जुलाई के बीच 29 राज्यों ने कोविशील्ड की शीशी में उपलब्ध यह अतिरिक्त डोज 41 लाख 11 हजार लोगों को लगाई है। इसमें सबसे अधिक पांच लाख 88 हजार अतिरिक्त डोज तमिलनाडु ने निकालीं। मप्र में छठवें स्थान पर है। प्रदेश में इस अवधि में तीन लाख 55 हजार अतिरिक्त डोज लगाई गईं।

मध्य प्रदेश में टीका बेकार जाने का प्रतिशत जनवरी से अप्रैल के बीच चार तक पहुंच गया था। इसके बाद एक-एक डोज का उपयोग करने की रणनीति बनी। इसी के चलते एक मई से 13 जुलाई के बीच तीन लाख 55 हजार अतिरिक्त डोज लगाई गई। हालांकि इससे पहले की अवधि 16 जनवरी से 30 अप्रैल तक बेकार हुई डोज की संख्या इतनी ज्यादा थी कि तीन लाख 55 हजार से घटाने के बाद इसकी संख्या दो लाख 88 हजार 046 ही होती है। 

अतिरिक्त डोज को कोविन पोर्टल पर ऋणात्मक रूप में दर्शाया जाता है। मप्र के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि एक बार शीशी खोलने के बाद बची डोज चार घंटे में खराब हो जाती हैं। मार्च-अप्रैल में कोरोना का बहुत ज्यादा संक्रमण होने के साथ ही लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता कम थी। ऐसे में कई जगह आखिर में डोज बच जाती थीं जिन्हें नष्ट करना पड़ता था।

राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि भोपाल जिले के फंदा ब्लॉक में एक नर्स शीशी में बची हुई डोज नष्ट करने के लिए रख रही थी। नर्स ने ही खुद सुझाव दिया कि यह अतिरिक्त डोज किसी जरूरतमंद व्यक्ति को लगाई जा सकती है। इसके बाद से ही अतिरिक्त डोज को लगाने की शुरुआत प्रदेश में हुई। एक वीडियो बनाकर यूट्यूब के जरिए टीकाकरण करने वाले कर्मचारियों तक पहुंचाया गया। 

उन्होंने बताया कि कोविशील्ड की 10 डोज की एक शीशी होती है। एक अतिरिक्त डोज 0.5 एमएल का भी उसी शीशी में रहता है ताकि सिरिंज से एयर निकालते समय कुछ बूंदें बेकार भी हो जाएं तो भी 10 लोगों को आसानी से लगाया जा सके। यह अतिरिक्त डोज करीब दो महीने पहले तक शीशी के साथ फेंक दी जाती थी लेकिन अब इसका उपयोग किया जा रहा है। कोवैक्सीन में अतिरिक्त डोज नहीं रहती। उन्होंने बताया कि टीका लगाने में उपयोग होने वाली सिरिंज में 0.5 एमएल डोज निकलने के बाद सिरिंज लाक हो जाती है, जिससे डोज कम-ज्यादा नहीं निकलती।

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