नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व न्यायाधीशों ने शनिवार को कहा कि विरोध और सरकार से सवाल पूछने वालों की आवाज को दबाने के लिए राजद्रोह कानून और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का दुरुपयोग किया जा रहा है। चारों पूर्व न्यायाधीशों ने इन दोनों कानूनों को रद करने की वकालत की।
फादर स्टेन स्वामी की मौत का उल्लेख करते हुए पूर्व न्यायाधीश आफताब आलम ने कहा कि यूएपीए ने राष्ट्रीय सुरक्षा और संवैधानिक स्वतंत्रता दोनों ही मामलों में हमें विफल किया है।
जस्टिस आलम के साथ ही सुप्रीम कोर्ट अन्य पूर्व जस्टिस दीपक गुप्ता, मदन बी लोकुर और गोपाल गौडा एक परिचर्चा में बोल रहे थे। जस्टिस लोकुर का कहना था कि गलत तरीके से फंसाए गए लोगों को रिहा होने के बाद मुआवजा मिलना चाहिए।
पूर्व जस्टिस गुप्ता ने कहा कि समय के साथ इन कानूनों का दुरुपयोग बढ़ता गया है और अब इन्हें खत्म करने का समय आ गया है। जस्टिस गौडा ने कहा कि सुरक्षा से जुड़े विशेष कानूनों में व्यापक सुधार की जरूरत है, क्योंकि ये व्यापक अधिकार देते हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।