मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले एक हफ्ते के दौरान भारी बारिश ( Maharashtra Rain) ने तबाही मचा दी है। खतरनाक बारिश के चलते कई जगहों से भूस्खलन की खबरें आईं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में भारी बारिश के चलते अब तक 76 लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र के सतारा जिले के अंबेघर गांव में हुए भूस्खलन वाली जगह से शनिवार को पांच शव बरामद किए गए। इस गांव में हुए भूस्खलन में कम से कम 16 लोगों के फंसे होने की आशंका है, क्योंकि चार से पांच घर मलबे में दफन हो गए हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को सातारा के लिए नया ‘रेड अलर्ट’ जारी कर अगले 24 घंटे में 'अत्यंत भारी वर्षा' का अनुमान व्यक्त किया था। इसके अलावा राज्य के 6 और ज़िलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। आखिर क्यों महाराष्ट्र में अचानक इतनी बारिश हो गई। क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स...
कम दबाव का क्षेत्र: 15 जुलाई को एक प्रेस रिलीज में आईएमडी ने कहा था कि उत्तर आंध्र प्रदेश-दक्षिण ओडिशा तटों से पश्चिम मध्य और उससे सटे उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर एक कम दबाव का क्षेत्र था। इससे मानसून का प्रवाह मजबूत हो गया था। लिहाजा इसके चलते पश्चिमी तट पर भारी बारिश की चेतावनी दी गई। खासकर वेस्टर्न घाट के इलाकों में खतरनाक बारिश का अनुमान लगाया गया।
हैरान कर देने वाला मंजर: 17 जुलाई को मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में बारिश हुई थी। इसके बाद ट्विटर यूजर @IndiaWeatherMan ने लिखा था कि रायगढ़ जिले में शाम को तेज आंधी चली। फिर ये धीरे-धीरे पश्चिमी तट के साथ उत्तर की ओर मुंबई की तरफ बढ़ा और फिर पूरे दक्षिण गुजरात तक चला गया। जिस तरह से ये बारिश गरज के साथ आगे बढ़ी ये मंजर हैरान कर देने वाला था। ये तूफान माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की तरह था।
18 किलोमीटर तक बादल: ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मौसम विज्ञान विभाग में मौसम विज्ञानी और पीएचडी छात्र अक्षय देवरस ने ट्वीट करके दिखाया कि वास्तव में बादल कितना विशाल था। उन्होंने बताया कि करीब 18 किलोमीटर यानी 60 हज़ार फीट दूर तक बादल थे, जबकि आमतौर पर सिर्फ 25 हज़ार फीट की ऊंचाई पर कमर्शियल फ्लाइट उड़ान भरती है।
आंधी से बादल पहुंचा ऊपर: इंडियन एक्सप्रेस ने आईआईटी-पुणे के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुनील पवार के हवाले से लिखा, 'इस प्रकार की आंधी निश्चित रूप से बहुत ही असामान्य है। बहुत तेज आंधी के साथ, बादल की ऊंचाई 16-17 किमी तक पहुंच जाती है। ये बहुत अधिक था और इसके लिए उच्च अस्थिरता की आवश्यकता होती है। हम इस बात को लेकर भी असमंजस में हैं कि बादल की ऊंचाई 18 किमी तक पहुंचने के लिए ऐसी अस्थिरता का निर्माण कैसे किया गया।'