नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले 34 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हैं। इन सबके बीच बुधवार को एक बार फिर दोनों पक्ष एक दूसरे के आमने सामने बैठने वाले हैं। लेकिन उससे पहले जिस तरह के रुख सामने आ रहे हैं वो बेहतरीन अंजाम की तरफ जाता दिख नहीं रहा। मसलन किसानों का कहना है कि वो काले कानूनों के खारिज होने तक आंदोलन को वापस नहीं लेंगे तो सरकार का भी कहना है कि वो अपने पहले के रुख पर कायम है। एएनआई से बात करते हुए, टिकैत ने कहा कि उन्होंने बुधवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की सीएम से मुलाकात की और उन्हें बताया कि देश में विपक्ष कमजोर है। बीकेयू नेता ने बनर्जी से कहा, “हम (किसान) सड़कों पर बैठे हैं, अगर विपक्ष मजबूत होता तो हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। विपक्ष मजबूत होना चाहिए।”
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को राकेश टिकैत और युद्धवीर सिंह के नेतृत्व में आए किसान नेताओं को नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने किसान नेताओं के साथ बैठक में कहा कि एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां राज्य नीतिगत विषयों पर बातचीत कर सकें।
उन्होंने कहा कि राज्यों को निशाना बनाना (बुलडोजिंग) संघीय ढांचे के लिए अच्छी बात नहीं है। उत्तर भारत के किसान संगठनों के नेताओं से इस मुलाकात से कुछ दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि पार्टी पश्चिम बंगाल की भौगोलिक सीमाओं के बाहर अपना प्रभाव बढ़ाएगी। टिकैत और सिंह की अगुवाई वाले भारतीय किसान यूनियन ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ‘भाजपा को कोई वोट नहीं’ अभियान चलाया था। उनकी आने वाले समय में अन्य राज्यों के चुनावों में भी इसी तरह की योजना है।
बनर्जी ने किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘किसानों के आंदोलन को समर्थन रहेगा। भारत पूरी उत्सुकता से ऐसी नीतियों का इंतजार कर रहा है जिनसे कोविड-19 से लड़ने में, किसानों और उद्योगों की सहायता करने में मदद मिल सकती है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘किसानों से बात करना इतना मुश्किल क्यों है?’’