16 Apr 2024, 12:30:12 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » World

अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी जारी, चीन-पाक को महसूस होने लगा खतरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 11 2021 7:31PM | Updated Date: May 11 2021 7:31PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में यह आशंका गहरा रही है कि अगर अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी फौज पूरी तरह हटा ली, तो उसका असर चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना पर पड़ेगा। अंदेशा यह है कि इससे अफगानिस्तान से लगी पाकिस्तान की सीमा पर अस्थिरता पैदा होगी, जिससे बीआरआई के लिए खतरा बढ़ जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की घोषणा के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी शुरू हो चुकी है। अगले 11 सितंबर तक सभी अमेरिकी सैनिक वहां से वापस चले जाएंगे।

टीटीपी के हमले तेज, मुश्किल से बची चीनी राजदूत की जान

पाकिस्तान के विश्लेषकों का आकलन यह है कि सेना वापसी से पहले ही अफगानिस्तान और उससे लगे पाकिस्तान के इलाकों में अस्थिरता बढ़ गई है। नए हालात का फायदा उठाते हुए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने सीमा पार से हमले बढ़ा दिए हैं। पिछले महीने टीटीपी के एक हमले में पाकिस्तान स्थित चीन के राजदूत नांग रोंग की जान मुश्किल से बची। 

सीपीईसी परियोजना क्षेत्रों में भी हमले

अमेरिकी विदेश मंत्रालय का भी ये आकलन है कि अफगानिस्तान में पैदा हुई अनिश्चितता से टीटीपी को पाकिस्तान में हमले करने का मौका मिला है। उसने जिन ठिकानों को निशाना बनाया है, उनमें बीआरआई के तहत बनी रही चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से जुड़ी परियोजनाएं भी शामिल हैं।

वॉरसा स्थित वॉर स्टडीज एकेडमी में अफगानिस्तान के विशेषज्ञ प्रजेमिस्लाव लेसिंस्की ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा कि अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद टीटीपी उन ठिकानों पर आसानी से हमले कर सकेगा, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं। इनमें सीपीईसी भी शामिल है। उन्होंने कहा- 'चीनी निवेश के कुछ स्थल टीटीपी की गतिविधियों वाले क्षेत्र में हैं, जो आसानी से निशाना बन जाएंगे।'

टीटीपी के चीन विरोधी स्वर तेज

अमेरिकी थिंक टैंक विल्सन सेंटर में एशिया प्रोग्राम के निदेशक माइकल कुगेलमैन के मुताबिक सीपीईसी परंपरागत रूप से टीटीपी का निशाना नहीं रहा है। लेकिन हाल में टीटीपी के प्रचार में चीन विरोधी स्वर तेज हो गए हैं। इसकी वजह चीन में उइघुर मुसलमानों का कथित दमन है। उन्होंने कहा कि टीटीपी की ताकत फिर बढ़ रही है। इससे पाकिस्तान में बड़े हमले होने की आशंका वास्तविक है।

पाक को बाड़ लगाने का काम तेज करना होगा

एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान ने अब तक अफगानिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने पर सवा 53 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं। जानकारों का कहना है कि पैदा हो रहे नए हालात के कारण इस काम में पाकिस्तान को निवेश बढ़ाना होगा। कुगेलमैन ने निक्कई एशिया से कहा कि अब तक पाकिस्तान ने जो बाड़ लगाई है, वह हमले रोकने में 100 फीसदी सक्षम नहीं है। 

जानकारों के मुताबिक अफगानिस्तान तालिबान और टीटीपी हालांकि आपस में जुड़े हुए हैं, लेकिन दोनों स्वतंत्र रूप से अपनी गतिविधियां चलाते हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों की राय है कि हाल में जब टीटीपी ने पाकिस्तान को निशाना बनाया है, तब अफगानिस्तान तालिबान ने चुप्पी साधे रखी है।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »