नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कोरोना संकट के बावजूद भारत में चुनावी रैलियों के आयोजन करने और सामूहिक सभाओं की अनुमति देने का बचाव किया है। हाल में केन्द्र सरकार की इस वजह से काफी आलोचना हो रही थी कि जब देश में वैक्सीन की कमी थी, चारों तरफ हाहाकार मचा था, तो इसे दूसरे देशों को निर्यात करने का फैसला क्यों लिया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सवाल का जवाब दिया है और लोगों को सरकार की मजबूरी बताई है। उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। विदेश मंत्री ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार ने लोगों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए 'जमीन-आसमान एक' कर दिया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी का भी बचाव किया। इसमें कहा गया था कि भारत ने कोवैक्स समझौते के तहत अन्य देशों में वैक्सीन भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय करार किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने जयशंकर के हवाले से कहा, 'कई देशों को कम कीमत पर टीके देने की बाध्यता थी।
इंडिया इंक ग्रुप के चेयरमैन और सीईओ मनोज लाडवा के साथ बुधवार को वर्चुअल इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि सरकार ढीली नहीं पड़ी थी, लेकिन मौजूदा स्थिति तब पैदा हो गई जब लगा कि कोरोना की पहली लहर काबू में है। विदेश मंत्री ने कहा, 'फरवरी के अंत तक रोजाना 10 हजार से भी कम मामले आ रहे थे। यह अब 38 गुना बढ़ गया है।
ग्लोबल डायलॉग सीरीज में बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि हमारे वैक्सीन उत्पादन की स्थिति कई अन्य देशों से अलग है। भारत में बन रहा कोविशिल्ड दरअसल एक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका टीका है और यह ब्रिटिश-डिज़ाइन उत्पाद है। इसे डेवलप करनेवालों ने इसके उत्पादन के लिए भारत को इसलिए चुना, क्योंकि यहां कुशल, सस्ते और सक्षम उत्पादन की व्यवस्था थी। इसके अलावा जब भारत को उत्पादन के लिए चुना गया तो उसके साथ ये जिम्मेदारी भी थी कि उत्पादन के बाद वैक्सीन इसे बनानेवाले देशों को दिया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि यह वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग था। जब कोई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग होता है, तो आपको भी अपना योगदान करना होता है, वर्ना फिर कभी कोई आप पर भरोसा नहीं करेगा। इसके अलावा वैक्सीन निर्माण के सहयोगी देश होने के नाते हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इसे कम कीमत पर कई देशों को उपलब्ध करायें। हम सारी वैक्सीन देने से तभी मना कर सकते थे, जब ये वैक्सीन एक भारतीय द्वारा विकसित की गई हो, भारतीय का ही मालिकाना हक हो, और भारतीय कंपनी ने ही उत्पादन किया हो। लेकिन ऐसा नहीं है। इस वैक्सीन का निर्माण अंतरराष्ट्रीय सहयोग से हुआ है और हम सिर्फ उत्पादन में सहयोग दे रहे हैं।
कोरोना संकट के बीच चरमरा चुके स्वास्थ्य व्यवस्था पर एस जयशंकर ने कहा, 'बिल्कुल हेल्थ सिस्टम उजागर हुआ है। उन्होंने कहा, 'यह बहुत साफ है कि 75 वर्षों में हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में कम निवेश किया है। इस बात का अहसास था इसलिए पीएम ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की क्योंकि हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां हम अपने लोगों को निजी चिकित्सकों के भरोसे नहीं छोड़ सकते है। हालांकि वे बेहतर कर सकते हैं। भारत में अभी डॉक्टरों, नर्सों की कमी है, जो बहुत ज्यादा चिंता का विषय है।'