जयपुर। सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी (BJP) को एक नहीं बल्कि दो दो झटके दे डाले हैं। पहले ऐतिहासिक बजट पेश किया फिर पायलट के साथ किसान सम्मेलनों में शिरकत की। सचिन पायलट और अशोक गहलोत (Sachin Pilot and Ashok Gehlot) की इस एकता से बीजेपी बेचैन है। बीजेपी खेमे में इससे खलबली मची हुई है। इसके बाद सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपाई तिकड़ी एक बार फिर सक्रिय हो गई है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने फिर कहा कि जिस दिन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा उस दिन सरकार धराशाई हो जायेगी।
कटारिया के इस बयान पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भी उनकी हां में हां मिलाते नजर आ रहे हैं। सीएम अशोक गहलोत की ओर से अब तक का सबसे लंबा और घोषणाओं के अंबार वाला बजट पेश करने के बाद भाजपाई संभले भी नहीं थे कि हाल ही में हुए किसान सम्मेलनों में कांग्रेस की एकता की तस्वीर से वे फिर परेशान हो गये। सरकार के गिरने के बयान देने वाले भाजपाई दिग्गजों को ये तस्वीरें भी दिखावे की नजर आ रही है। इसमें भी वो फूट का तड़का ढूंढ रहे हैं।
उसके बाद नेता प्रतिपक्ष कटारिया तो रविवार को यहां तक बोल गये कि पायलट गहलोत के रिश्तों में गांठें पड़ी हुई है। ये रिश्ते कभी सामान्य हो ही नहीं सकते। बकौल कटारिया जिस दिन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा उसी दिन सरकार धराशाई हो जायेगी। राजेन्द्र राठौड़ ने भी कटारिया की ही बात को कुछ ऐसे ही शब्दों में आगे बढ़ाया है। कांग्रेस की फूट को मुद्दा बनाकर उपचुनाव जीतने के सपने देखने वाली बीजेपी के मंसूबों पर फिलहाल तो पानी फिर गया है। कांग्रेस के नेताओं की नजदीकियां उसे हैरान कर रही है।
सरकार गिरने और मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी करने वाले भाजपाई बयानवीर इन तस्वीरों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं के बीच मिटते गिले शिकवे उसके लिए सिरदर्द बन रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया कांग्रेस खेमे में कलह की पूरी गुंजाइश के पीछे भांति भांति के तर्क दे रहे हैं। लेकिन वो फिलहाल तो किसी के भी गले उतरते नहीं दिख रहे हैं। प्रदेश में किसान सम्मेलनों के बीच सरकार के बजट के खूब चर्चे हैं। सरकार बदली फिजां को उपचुनाव तक बरकरार रखना चाहती है ताकि कांग्रेस की फूट में जीत के भाजपाई मंसूबे किसी भी सूरत में कामयाब नहीं हो सके।