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देश कोरोना के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण दौर में, ढिलाई की गुंजाइश नहीं : अंबानी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 21 2020 5:36PM | Updated Date: Nov 21 2020 5:38PM
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गांधीनगर। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने शनिवार को कहा कि देश वैश्विक महामारी कोविड-19  के खिलाफ लड़ाई में अपने महत्वपूर्ण दौर में प्रवेश कर चुका है और यह ऐसा वक्त है कि इसमें अब ढिलाई की कतई भी गुंजाइश नहीं है। अंबानी ने आज पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में वर्चुअल संबोधन में कहा, " देश कोरोना वायरस  महामारी के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुका है। जहां हमारे लिये ढिलाई की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती है।" 

अंबानी जो इस विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी हैं, छात्रों और युवाओं से सीखने का आव्‍हान करते हुए कहा, "सीखना एक सतत प्रक्रिया है जिसके दोहन,खोज और एडवेंचर का कोई छोर नहीं है। एक  विद्यार्थी कभी भी वास्तव में ज्ञान प्राप्त करना बंद नहीं करता है।" उन्होंने कहा," इसलिए मेरा आपको यह संदेश है और मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को आपके लिये दोहरा रहा हूं। जीवन के लिये सीखो, जीवन के जरिये सीखो और जीवनभर गुनते रहो। भारत का भविष्य आपके लिये और सभी भारतवासियों के लिये बहुत  उज्ज्वल है।"  

अंबानी ने कहा " कोविड पर्यांत युग में मैं भारतीय अर्थव्यवस्था का अप्रत्याशित विकास देख रहा हूं। भारत दो दशकों के भीतर विश्व की तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में होगा। विकास आप जैसे युवा और प्रतिभावान के लिये अभूतपूर्व अवसरों और संभावनाओं से अटा पड़ा है और इन मौकों में से अधिकांश को युवा उद्यमी स्वयं ही उत्पन्न करेंगे। विश्व आपकी बाट देख रहा है। बढ़ो और इन अवसरों का दोहन करो।"  

एशिया के सबसे अमीर ने कहा कि सरकार के साहसिक सुधारों से आने वाले वर्षों में तेजी से आर्थिक पुनरुद्धार होगा और तीव्र प्रगति होगी। उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन इतिहास रहा है कि पहले भी कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है और हर बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरा है, क्योंकि लचीलापन लोगों और संस्कृति में गहराई से निहित है। उन्होंने स्रातक होने जा रहे छात्रों से कहा कि वे झिझक और घबराहट छोड़ उम्मीद तथा भरोसे के साथ परिसर के बाहर की दुनिया में प्रवेश करें। 

अंबानी ने कहा," विश्व के समक्ष मौजूदा में इस बात की चुनौती भी है कि क्या हम  पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। अभी दुनिया को जितनी ऊर्जा की जरूरत पड़ रही है, इस सदी के मध्य में दुनिया इससे दोगुनी ऊर्जा का इस्तेमाल करेगी। भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा जरूरतें अगले दो दशक में दोगुनी हो जाएंगी।"  उन्होंने कहा कि देश को आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ ही स्वच्छ और हरित ऊर्जा की महाशक्ति बनने के दोहरे लक्ष्य को एक साथ प्राप्त करने की आवश्यकता भी  है।

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