नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की अनियंत्रित स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की और केजरीवाल सरकार को जम कर फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने वैवाहिक समारोहों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या सीमित करने के लिए 18 दिनों का इंतजार क्यों किया। न्यायालय ने यह भी पूछा कि कब्रिस्तानों में जगह नहीं है, लाशें शाम और रात के वक्त भी जलाई जा रही हैं, क्या आपको इस बात की ख़बर है?
राकेश मल्होत्रा नाम के व्यक्ति ने न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना जांच की संख्या बढ़ाने तथा त्वरित परिणाम हासिल करने की मांग की है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद कहा,‘‘आप लोग (दिल्ली सरकार) गहरी नींद में थे और आपको झकझोर कर नींद से उठाना पड़ा। जब हम आपको झकझोरते हैं तब आप कछुए की चाल चलने लगते हैं। हमें क्यों 11 नवंबर को आपको (दिल्ली सरकार) गहरी नींद से जगाना पड़ा?
आपने 1 नवंबर से 11 नवंबर के बीच क्या किया? आपने कोई भी निर्णय लेने के लिए 18 दिन का (18 नवंबर तक) इंतजÞार क्यों किया? क्या आपको अंदाजÞा भी है कि इस दौरान कितने लोगों की जानें गई? क्या मृतकों के परिजनों को जवाब दे सकते हैं या उन्हें कुछ भी समझा सकते हैं?’’ न्यायालय ने यह भी कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को लेकर जो जानकारी न्यायालय में साझा की थी,उसके मंत्रियों द्वारा प्रेस वार्ताओं में साझा की गई जानकारी से बिलकुल अलग है।
इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली में कोरोना महामारी की वजह से हर 10 मिनट में एक मौत हो रही है या हर घंटे में पांच मौतें हो रही हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि मास्क नहीं पहनने पर लगाया जाने वाला जुर्माना और सामाजिक दूरी नहीं बनाना, यह दो बातें भी प्रभावी सिद्ध नहीं हो रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए न्यायालय की तरफ से यह टिप्पणी तब आई है जब सिर्फ एक दिन के भीतर कोरोना की वजह से दिल्ली में लगभग 131 मौतें हुई तथा 7,486 नये मामले सामने आये।