23 Apr 2024, 21:45:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

पुरानी परंपरा कायम रखेगी ‘महाराष्ट्र एजूकेशन सोसायटी’: डॉ निशंक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 19 2020 12:23AM | Updated Date: Nov 19 2020 12:23AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

पुणे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने महाराष्ट्र के शैक्षणिक विकास में महाराष्ट्र एजूकेशन सोसायटी के योगदान की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की है कि यह शैक्षणिक सोसायटी आगे भी उत्कृष्ट कार्य करते हुए अपनी वर्षों की परंपरा को कायम रखेगी। डॉ निशंक ने महाराष्ट्र एजूकेशन सोसाइटी के 160 साल पूरे होने पर वर्चुअल समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह राज्य के निजी क्षेत्र की सबसे पुरानी और एक उत्कृष्ट शैक्षणिक सोसायटी है। इस सोसायटी की शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर विकास में बड़ी भूमिका है। महाराष्ट्र के लाखों छात्र इस सोसायटी के कॉलेजों-स्कूलों से पढ़कर दुनिया के कोने-कोने में जाकर नाम रोशन कर रहे हैं। पुणे ने शिक्षा के क्षेत्र में नए संस्कारों की पीढ़ियां बनाई हैं।
 
आज ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े-बड़े लोग पुणे में रहते हैं। केंद्रीय मंत्री ने सोसायटी से जुड़े 77 संस्थानों के करीब 40 हजार छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को 160 साल के इस लंबे सफर में साथ देने के लिए बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यदि आप विभिन्न क्षेत्रों में विकास करना चाहते हैं तो ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सृजन, उद्यमिता और अनुसंधान के सभी क्षेत्रों में काम करना होगा।
 
पुणे नवी मुंबई, सातारा, रत्नीगिरी, अहमदनगर जैसे जिलों में सोसायटी ने शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर शिक्षा के लिए अलख जगायी है। ज्ञान एक प्रभावी शक्ति है। स्वतंत्र भारत बनाने के लिए ज्ञान चाहिए क्योंकि ज्ञान के आधार पर ही धन कमाया जा सकता है। ऐसे में इस ज्ञान को संरक्षित करने के लिए स्कूल स्तर की शिक्षा को मजबूत करने की जरूरत है। भारतीय संस्कृति और इतिहास, विश्व कल्याण की परंपरा में विश्वास करती है। ऐसे में ‘मेसो’ जैसे शैक्षिक संस्थानों की बड़ी विरासत है।
 
आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आयात को कम करके निर्यात को बढ़ाना होगा, इसी तरह हमारे देश के छात्रों को जो बड़ी संख्या में शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं, उन्हें अपने देश में पढ़ाना होगा।  उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र एजूकेशन सोसायटी के निर्माण में वासुदेव बलवंत फड़के का बहुत बड़ा योगदान है। सबसे पहले इसे 1860 में नाना महागांवकर के ‘महागावर्कर्स इंग्लिश स्कूल’ की स्थापना के साथ ही इस संस्था का शुभारंभ हुआ। इसके बाद 1874 में वामन प्रभाकर भावे, लक्ष्मण इंदापुरकर तथा प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी वासुदेव बलवंत फड़के जी की त्रिमूर्ति ने इस संस्था को आगे बढ़ाया।
 
1922 में पूना नेटिव संस्थान से नाम बदलकर महाराष्ट्र एजूकेशन सोसायटी कर दिया गया। डॉ निशंक ने कहा कि किसी भी संस्था की पहचान उसके भवन, उसके दीवारों से नहीं होती, बल्कि उस संस्था से जुड़े छात्रों, शिक्षकों और संबद्ध लोगों की उपलब्धियों, उनके कार्यों तथा उनके सामूहिक प्रयासों से होती है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पुणे के होनहार गरीब विद्यार्थियों को साहित्य संबंधी, शास्त्रीय एवं औद्योगिक शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से इस संस्था की स्थापना हुई थी।
 
आज यह संस्था स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के प्रत्येक विधा में अपनी पहुंच रखती है। उन्होंने कहा कि एक ‘नए भारत, सशक्त भारत, समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए जरूरी है कि हम नई शिक्षा नीति को उसके मूल भावना के साथ सफलतापूर्वक अमल में लाएं।
 
उन्होंने कोविड-19 की चुनौतियों को लेकर साफ कहा कि पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव अगर किसी क्षेत्र पर पड़ा है तो वह है शिक्षा क्षेत्र लेकिन वह गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि हमारे शैक्षिक संस्थानों ने न केवल इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया बल्कि इन चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए महामारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए हैं।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »