नई दिल्ली। देश में वित्तीय स्थिरता को मजबूती प्रदान करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक को आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की गैर मौजूदगी में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक देश में वित्तीय स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विधेयक दो पक्षों के बीच द्विपक्षीय नेटिंग के लिए मजबूत कानूनी आधार का प्रावधान करता है। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी क्योंकि लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
विपक्ष आठ सदस्यों के निलंबन और कृषि सुधार विधेयकों में संशोधन की मांग को लेकर मंगलवार से ही कार्यवाही का बहिष्कार कर रहा है। मंगलवार को पहले राज्यसभा में सरकार ने विपक्ष की गैर मौजूदगी में सात विधेयक पारित कराये और इसके बाद लोकसभा में भी विपक्ष की गैर मौजूदगी में विधेयक पारित किये गये। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वाम दल, द्रमुक, राजद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, आई यूएमएल, जनता दल एस जैसे विपक्षी दलों के सदस्य सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य भी विधेयक पारित होने के समय सदन में नहीं थे। सदन में भाजपा के अलावा बीजू जनता दल, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी , जनता दल यू और आर पीआई के सदस्य मौजूद थे।
सीतारमण ने कहा कि देश में बहुपक्षीय वित्तीय अनुबंधों के संबंध में कानूनी प्रावधान हैं और सेबी आदि इसके नियमन पर नजर रखते हैं लेकिन द्विपक्षीय नेटिंग के मामले में अभी कोई कानूनी प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा कि देश में द्विपक्षीय डेरिवेटिव अनुबंधों की राशि मार्च 2018 के अनुसार 56 लाख 33 हजार 257 करोड़ थी जो देश के कुल वित्तीय अनुबंध का 40 प्रतिशत है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह विधेयक कितना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से लिये गये विभिन्न सबकों को ध्यान में रखकर लाया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक पहले से लाया गया होता तो वर्ष 2017 में बैंकों में 42 हजार 194 करोड़ की राशि रिण देने के लिए उपलब्ध होती। मार्च 2020 में यह राशि 58 हजार 308 करोड़ रूपये थी लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो सका क्योंकि द्विपक्षीय नेटिंग के लिए कोई कानून नहीं था। उन्होंने कहा कि अब इसके लिए कानूनी प्रावधान किया जा रहा है। इस विधेयक में जोखिम का वास्तविक अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक से नियामक प्राधिकरण के अधिकार बढेंगे और उन्हें मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दायरे में बिजली और कोयले के डेरिटिव भी आयेंगे। उन्होंने सदस्यों से विधेयक को पारित करने की अपील की।