नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी का नाम लिये बिना आज सख्त लहजे में कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और इस तरह की मंशा रखने वाली ताकतें या तो मिट गयी हैं या उन्हें झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ करीब दो महीने से जारी सैन्य गतिरोध के दौरान पिछले महीने गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सैनिकों की हौसला अफजायी के लिए लद्दाख पहुंचे मोदी ने नीमू में सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और वायु सेना के रणबांकुरों को संबोधित किया।
सेना के जवानों की असाधारण वीरता की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सेना ने दुनिया को भारत की ताकत का संदेश दिया है और साथ ही देशवासियों को भी देश की रक्षा का विश्वास दिलाया है। मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी थे। प्रधानमंत्री का लद्दाख दौरा अचानक हुआ। इस झड़प के बाद किसी भी शीर्ष नेता का यह पहला लद्दाख दौरा है।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आज लद्दाख का दौरा करना था। गलवान की झड़प में एक कर्नल सहित भारत के 20 सैनिक शहीद हो गये थे जबकि चीन के भी बड़ी संख्या में सैनिक हताहत हुए थे। उन्होंने कहा ,‘‘ विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है, ये युग विकासवाद का है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है।
विकासवाद के लिए ही अवसर हैं और विकासवाद ही भविष्य का आधार भी है। बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया, मानवता को विनाश करने का प्रयास किया। विस्तारवाद की जिद जब किसी पर सवार हुई है, उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। साथियों, ये न भूलें, इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने के लिए मजबूर हो गई हैं।
विश्व का हमेशा यही अनुभव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर अब इस बार फिर से पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है। आज विश्व विकासवाद को समर्पित है और विकास की खुली स्पर्धा का स्वागत कर रहा है।’’ गलवान घाटी में सेना के रणबांकुरों की वीरता का गुणगान करते हुए उन्होंने कहा , ‘‘ देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया,वो पराक्रम की पराकाष्ठा है। देश को आप पर गर्व है, आप पर नाज है। ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ आपका ये हौसला, आपका शौर्य, और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है। आपकी जीवटता भी दुनिया में किसी से भी कम नहीं है। जिन कठिन परिस्थितियों में, जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बन करके उसकी रक्षा करते हैं, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है जिसको रोज आप अपने कदमों से नापते हैं। आपकी भुजाएं उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं जो आपके इर्द-गिर्द खड़ी हैं। आपकी इच्छाशक्ति आसपास के पर्वतों जितनी अटल है।’’
मोदी ने कहा , ‘‘ जब देश की रक्षा आपके हाथों में है, आपके मजबूत इरादों में है तो एक अटूट विश्वास है। सिर्फ मुझे नहीं, पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निंिश्चत भी है। आप जब सरहद पर डटे हैं तो यही बात प्रत्येक देशवासी को देश के लिए दिन-रात काम करने के लिए प्रेरित करती है।
आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आप लोगों के कारण, आपके त्याग, बलिदान, पुरुषार्थ के कारण और मजबूत होता है। और अभी जो आपने और आपके साथियों ने वीरता दिखाई है, उसने पूरी दुनिया में ये संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है।’’ राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ मैं, आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। मैं गलवान घाटी में शहीद हुए अपने वीर जवानों को भी पुन: श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
इनमें पूरब से, पश्चिम से, उत्तर से, दक्षिण से, देश के हर कोने के वीर अपना शौर्य दिखाते थे। उनके पराक्रम, उनके सिंहनाद से धरती अब भी उनका जयकारा कर रही है। आज हर देशवासी का सिर आपके सामने, अपने देश के वीर सैनिकों के सामने आदरपूर्वक नतमस्तक हो करके नमन करता है। आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से फूली हुई है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा ,‘‘ वीर सपूतों के शौर्य और पराक्रम की गाथाओं को ये धरती अपने-आप में समेटे हुए है। लेह-लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचिन तक, रिजांगला की बर्फीली चोटियों से लेकर गलवान घाटी के ठंडे पानी की धारा तक, हर चोटी, हर पहाड़, हर जर्रा-जर्रा, हर कंकड़-पत्थर भारतीय सैनिकों के पराक्रम की गवाही देते हैं। 14 कोर की जांबाजी के किस्से तो हर तरफ हैं। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है, जाना है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही हैं और भारत माता के दुश्मनों ने आपकी फायर भी देखी है और आपकी फ्यूरी भी।’’
चीन को परोक्ष रूप से संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि शांति के प्रति हमारी वचनबद्धता को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि विकास के लिए शांति और मित्रता का हर कोई पक्षधर है लेकिन यह भी सत्य है कि निर्बल शांति नहीं ला सकता। उन्होंने कहा , ‘‘ वीरता शांति की पूर्व शर्त होती है। ’’ इसे देखते हुए भारत ने नभ, जल , थल और अंतरिक्ष में अपनी ताकत को बढाया है और इसका उद्देश्य मानवता का कल्याण ही है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने भारत के पराक्रम और शांति दोनों प्रयासों को देखा है।
उन्होंने कहा , ‘‘ जब-जब मैं राष्ट्र रक्षा से जुड़े किसी निर्णय के बारे में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं का स्मरण करता हूं- पहली हम सभी की भारतमाता, और दूसरी वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे पराक्रमी यौद्धाओं को जन्म दिया है, मैं उन दो माताओं को स्मरण करता हूं। मेरे निर्णय की कसौटी यही है। इसी कसौटी पर चलते हुए आपके सम्मान, आपके परिवार के सम्मान और भारत माता की सुरक्षा को देश सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।’’
मोदी ने कहा , ‘‘ सेना के साथ ही हमारे आईटीबीपी के जवान हों, बीएसएफ के साथी हों, हमारे बीआरओ और दूसरे संगठनों के जवान हों, मुश्किल हालात में काम कर रहे इंजीनियर हों,श्रमिक हों; आप सभी अद्भुत काम कर रहे हैं। हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर मां भारती की रक्षा के लिए, मां भारती की सेवा में समर्पित है।’’
उन्होंने कहा , ‘‘आज आप सभी की मेहनत से देश अनेक आपदाओं से एक साथ और पूरी दृढ़ता से लड़ रहा है। आप सभी से प्रेरणा लेते हुए हम मिलकर हर चुनौती पर, मुश्किल से मुश्किल चुनौती पर विजय प्राप्त करते रहें हैं, विजय प्राप्त करते रहेंगे। जिस भारत के सामने, और हम सबने जिस भारत के सपने को लेकर, और विशेष रूप से आप सब सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं, हम उस सपने का भारत बनाएंगे।
आपके सपनों का भारत बनाएंगे। 130 करोड़ देशवासी भी पीछे नहीं रहेंगे, ये मैं आज आपको विश्वास दिलाने आया हूं। हम एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत बनाएंगे, बना करके ही रहेंगे। और आपसे प्रेरणा जब मिलती है तो आत्मनिर्भर भारत का संकल्प भी और ताकतवर हो जाता है।’’