नई दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी के बीच चीन से एक और हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक बेटे ने अपनी ही मां को कब्र में दफन कर दिया और तीन दिन बाद जब लोगों ने इस महिला को कब्र से बाहर निकाला तो वो जिंदा मिली। ये झकझोर देने वाला मामला चीन के उत्तरी इलाके का है, जहां एक शख्स ने मां-बेटे के रिश्ते को ही शर्मसार कर दिया। आरोपी की पत्नी ने पुलिस को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीते 2 मई को उसके पति एक ठेले पर अपनी मां को बिठाकर कहीं ले गए थे। जब तीन दिन तक वो घर नहीं लौटीं तो आस-पास तलाशने के बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई।
पुलिस ने जांच शुरू की और शक की सुईं गुमशुदा महिला के बेटे पर आकर टिकी, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। चाईना डेली' की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी शख्स की मां आंशिक रूप से लकवाग्रस्त थी और इसी वजह से वो अपनी मां से तंग आ चुका था। शख्स अपनी मां को बहाने से घर से दूर लेकर गया और एक खुली कब्र में उसे दफनाकर घर आ गया। हालांकि इस दौरान महिला जीवित रही और मदद के लिए पुकारती रही। महिला को बचाने वाले लोगों का कहना है कि वो इतनी दहशत में थी कि कब्र से निकालने के बाद भी काफी देर तक वो मदद के लिए चिल्ला रही थी। महिला काफी सदमे में हैं।
पुलिस ने शख्स को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है। ता दें कि पिछले दिनों इक्वाडोर में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां कोरोना वायरस के कारण एक महिला की मौत हो गई और अंतिम संस्कार के कुछ दिन बाद वही महिला अस्पताल में जिंदा मिली। यहां अल्बा मारुरी नाम की एक 74 वर्षीय महिला को कोरोना वायरस जैसे लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान महिला की हालत बिगड़ी तो अस्पताल ने उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। इलाज चल ही रहा था कि दो दिन बाद अस्पताल की तरफ से अल्बा की बहन ऑरा मारुरी के पास फोन आया और उन्हें बताया कि अल्बा की मौत हो चुकी है। ल्बा की मौत की खबर सुनकर उनके परिजन शव लेने अस्पताल पहुंचे।
अस्पताल प्रशासन ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उन्हें शव से दूरी बनानी होगी और परिवार का कोई एक सदस्य शव को देखकर उनकी पहचान कर सकता है। इसके बाद अल्बा की भतीजी जेमी मोरला ने शव को देखकर अपनी आंटी के तौर पर पहचान की। शव की पहचान होने के बाद अल्बा का अंतिम संस्कार कर दिया गया और उनके परिजन अस्थियां लेकर वापस अपने घर लौट आए। ल्बा की मौत को तीन हफ्ते बीत चुके थे और परिजन अब अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त हो गए थे कि अचानक एक दिन घर में उसी अस्पताल से एक फोन आया। फोन पर बात की तो परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक कई।
दरअसल, फोन करने वाली महिला कोई और नहीं, बल्कि खुद अल्बा थी। अल्बा ने फोन पर बताया कि अब वो पूरी तरह ठीक है और वो लोग उसे लेने अस्पताल आ जाएं। ये सुनकर अल्बा के परिजन हैरानी में पड़ गए, लेकिन जब वो अस्पताल पहुंचे तो उन्हें हकीकत का पता चला। रअसल, अस्पताल प्रशासन की गलती से किसी और महिला के शव को अल्बा का शव बताकर परिजनों को सौंप दिया गया था। शव की पहचान को लेकर जब अल्बा की भतीजी से पूछा गया, तो उन्होंने बताया, 'मैं काफी डरी हुई थी और करीब डेढ़ मीटर की दूरी से मैंने वो शव देखा था। इतनी दूर से मुझे बालों और स्किन को देखकर लगा कि वो मेरी आंटी का ही शव है।' वहीं अल्बा की बहन का कहना है कि हम लोगों के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। हम जिसे मरा हुआ मान चुके थे, आज वो हमारे बीच जिंदा है।