नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर 50 साल की आयु से अधिक या बीमार कैदियों की जेलों से रिहाई के निर्देश संबंधी याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अमित साहनी एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा कि कैदियों की रिहाई का आदेश ऐसे सभी कैदियों के लिए नहीं दिया जा सकता। यह अलग-अलग मामलों के आधार पर होना चाहिए।
न्यायालय ने कहा - हमें नहीं पता कि सरकार इस बारे में क्या सोचती है, लेकिन हमें लगता है कि यह मुकदमों के आधार पर होना चाहिए। हम सभी मामलों के लिए एक ही आदेश पारित नहीं करेंगे। आप अपने मामले में सरकार के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं। हम सामान्य आदेश पारित करना उचित नहीं समझते।’’ याचिकाकर्ता अमित साहनी ने न्यायालय की अनुमति से याचिका वापस ले ली।
खंडपीठ ने विश्वेंद्र तोमर की एक अन्य जनहित याचिका भी सुनने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ता ने जेल में बंद कैदियों को पैरोल या जमानत पर रिहा करने के शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद तिहाड़ जेल से रिहा होने वाले कैदियों की मामूली संख्या पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया था।