चंडीगढ़। आध्यात्मिक संगठन ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका एवं स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एंबेसडर राजयोगिनी दादी जानकी ने माउंट आबू के ग्लोबल हास्पीटल एंड रिसर्च सेंटर में आज तड़के अपना पार्थिव देह त्याग दिया। संगठन की ओर जारी विज्ञप्ति के अनुसार दादी 104 वर्ष की थीं। वह पिछले दो माह से पेट तथा सांस की बीमारी से पीड़ति थीं। उनका अंतिम संस्कार आज आबू रोड के निकट शांति वन में किया गया। संगठन के वरिष्ठ भाई बहनों ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद में एक जनवरी 1916 को जन्मी दादी नारी शक्ति की प्रेरणास्रोत रहीं।
उन्होंने छोटी उम्र से आध्यात्म का मार्ग अपनाया और इसी दिशा में अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने संगठन के विस्तार के लिये अथक परिश्रम किया तथा 140 देशों में हजारों की तादाद में सेवा केन्द्र खुलवाये। हाल में वह विदेश में सेवा करके लौटी थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एंबेसडर बनाया था। पवित्रता और प्रेम की प्रतिमूर्ति दादी ने लाखों लोगों को आध्यात्म के पथ पर लाने के निमित्त बनीं थीं।
हिसार से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणवीर गंगवा ने दादी के निधन को एक बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि वे केवल भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की अग्रणी नारी शक्तियों में शुमार थी। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि मोस्ट स्टेबल माइंड इन वलर्ड का खिताब से सम्मानित राजयोगिनी दादी जानकी के भारतीय संस्कृति, मानवीय मूल्यों और राजयोग का संदेश देने के लिए दुनिया के 140 देशों में ब्रह्माकुमारी केंद्रों की स्थापना की।
उन्होंने लाखों लोगों को आध्यात्मिक चिंतन का सच्चा पथ दिखाया। उन्होंने कहा कि राजयोगिनी दादी जानकी के हिसार आगमन के दौरान वे उनसे मिले थे और उनका आशीर्वाद लिया था। आज वे जिस मुकाम पर है वह उनके आशीर्वाद का ही फल है। हरियाणा विधानसभा के सभी सदस्यों की ओर से राजयोगिनी दादी जानकी के निधन पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने कहा कि उनके निधन से देश को एक बड़ी क्षति हुई है।
हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व चेयरमैन सतबीर वर्मा ने कहा कि लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए राजयोगिनी दादी जानकी ने अभूतपूर्व कार्य किया। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में भी उनके अमूल्य योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है। ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ वो 1937 से जुड़ी। उन्होंने कहा कि दादी जानकी विश्व की सबसे स्थिर मन वाली महिला थी। अध्यात्म के माध्यम से समाज में मानवीय मूल्यों की स्थापना व लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उनका समूचा जीवन समर्पित रहा है।