नई दिल्ली। गर्मी में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ेगा या घटेगा, इसको लेकर कई बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इस बीच मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में दावा किया है कि गर्म क्षेत्रों में कोरो नावायरस संक्रमण का फैलाव बहुत ही धीमी गति से होता है। यदि ये बात सच निकली है तो भारत में जल्द ही कोरोनावायरस का खतरा कम हो सकता है।
एमआईटी के शोधकर्ता - कासिम बुखारी और यूसुफ जमील के मुताबिक 3 से 17 डिग्री सेल्सियस तक के कम तापमान वाले क्षेत्रों में अधिकांश कोरोनावायरस संक्रमण पाया गया। हांलाकि उन्होंने यह भी कहा कि गर्म तापमान महामारी फैलने की गति को धीमी कर सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसका प्रकोप नहीं होगा।
शोधकर्ताओं की बात अगर सच निकलती है तो जल्द ही देश को राहत की सांस मिलेगी। क्योंकि जल्द ही अप्रेल का महीना शुरू होने वाला है। भारतीय जलवायु के अनुसार यहां अप्रैल से जून तक गर्मी का मौसम होता है। जिसमें मई सबसे गर्म महीना होता है, और गर्मी मौसम में औसत तापमान 32 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है, कहीं-कहीं ये 50 डिग्री सेल्सियस के करीब भी पहुंच जाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, वर्तमान में 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत तापमान में गर्मी का सामना कर रहे दक्षिणी गोलार्ध के देशों में भी कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज हुए है। लेकिन ये विश्वस्तर पर फैल रहे संक्रमण का 6 प्रतिशत से कम
स्पेन के मिगुएल बी अरूजो और बाबाक नाइमी, फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाल कर दावा कि स्थानीय मौसम के कोरोना संक्रमण की गति धीमी रही। उन्होंने ये भी दावा किया कि वायरस का प्रकोप -2 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान वाले शुष्क क्षेत्रों में ज्यादा हुआ।
एक अन्य शोध के अनुसार अधिक तापमान और आर्द्रता वाले शहरों में कोरोनावायरस के प्रबल प्रकोप के समय में भी संक्रमण संचरण की धीमी गति देखी गई।
दुनिया के 10 सबसे गरम जलवायु वाले देश
1. मैक्सिको।
2. सोमालिया।
3. भारत।
4. सुडान।
5. ओमान।
6. इरान।
7. अल्जीरिया।
8. इराक।
9. सऊदी अरबिया।
10. लिबिया।