नई दिल्ली। जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के केंद्र के खिलाफ आरोप जारी हैं। अब उन्होंने BSF का मुद्दा उठाते हुए भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, उन्हें लगता है कि उनके पास बहुमत है और कुछ भी कर सकते हैं। पंजाब में, उन्होंने 50 किमी क्षेत्र बीएसएफ को सौंप दिया क्यों? क्या उनकी पुलिस इसे नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है? वहां भी ऐसी ही लड़ाई होगी जैसा आपने नागालैंड में देखा। फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, हमने कभी भारत के खिलाफ कोई नारा नहीं लगाया। हमें पाकिस्तानी कहा जाता था। मुझे खालिस्तानी भी कहा जाता था। हम (महात्मा) गांधी के रास्ते पर चलते हैं और गांधी के भारत को वापस लाना चाहते हैं। शेर-ए-कश्मीर भवन में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में फारूक अब्दुल्ला ने कल कहा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद समस्याएं लगातार बढ़ी हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, हमेशा जम्मू-कश्मीर को मुश्किल से मुश्किल दौर से निकाला है। अब फिर से हमें वो रास्तों खोजना होगा, जिससे हमारे हक वापस मिल सके। यहां के लोगों की खुशियां वापस हों। हमारी बातें जब केंद्र को समझ आएगी, लेकिन उस समय पानी सिर से निकल चुका होगा। हमें पाकिस्तानी बताया गया, लेकिन सच्चाई यह है कि हमने हमारी पार्टी के किसी कार्यकर्ता ने देश के खिलाफ नारा नहीं लगाया। कभी ग्रेनेड नहीं फेंका, कभी पत्थर नहीं उठाया, लेकिन जो दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी कम करने के दावे करते थे, वह बताए कि दूरी बढ़ी है या कम हुई है। फारूक ने कहा था कि जो मां-बाप कर्जा लेकर बच्चों की पढ़ाई करवाते हैं कि बच्चा नौकरी करेगा, आज उनके सपनों का क्या हुआ। गरीब की उम्मीदें जब टूटती है, तो आह निकलती है, जो किसी को माफ नहीं करती। याद रखें कि देश को जनता ही बचा सकती है। बड़े-बड़े दावे ठोकने वालों से बच कर रहें। यह गरीब का बच्चा ही है जो एक तरफ चीन से लड़ रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान से जूझ रहा है।नेशनल कांफ्रेंस छोड़ कर डोगरा, डोगरी करने वालों का नाम न लेते हुए कटाक्ष किया कि आज वह कहा हैं। जब हम कुर्सी पर थे तो लोग पैरों में पड़ते थे। कहते थे, यह हमारा अन्नदाता है। कुर्सी से हटते ही बात करने से डरते थे कि कोई दूसरा देख न रहा हो। उन्होंने कहा कि आज के बाद नेकां का रेजुलेशन डोगरी में पास होगा। डोगरी में बात करो। पंजाबी आपकी पहचान है। आप रियासत का हिस्सा हो। पहाड़ी को मजबूत करो। छाना को मजबूत करो। कोई जुबान देश की दुश्मन नहीं है, जिससे आपकी संस्कृति का विकास संभव हो उस भाषा के लिए काम करो।