दुनिया भर सहित भारत में कोरोना वायरस ने आतंक मचा रखा है। इस जानलेवा महामारी के कोहराम से लोग अपने घरों में कैद है। ऐसे वक़्त में जब सब लोग इस उम्मीद में बैठे है कि अगले कुछ महीनों में कोरोना वायरस वैक्सीन आएगा और चीजें फिर से सामान्य होंगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर चेतावनी जारी कर इसके सफलता पर सवाल खड़ा कर दिया है। डब्लूएचओ ने कहा है कि यह वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी जो कोरोना वायरस को पलक झपकते खत्म कर देगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कोरोना वैक्सीन पर यह चेतावनी देते हुए कहा है कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है इसलिए सबको साथ मिलकर प्रयास करने होंगे। इससे पहले अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथोनी स्टीफन फॉसी के वरिष्ठ सलाहकार डेविड मारेंस ने भी कोरोना वैक्सीन के सफलता पर संदेह जताया था।
डेविड मारेंस ने कहा कि वैक्सीन बनाने का हर प्रयास एक अंध परीक्षण की तरह होता है। जो शुरुआत में तो अच्छे परिणामों के साथ आता है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती कि अंतिम चरण में भी वह वैक्सीन अपने ट्रायल के दौरान सफल साबित हो। उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि हम पहली बार में ही इसे सही से कर पाएंगे और 6 से 12 महीनों के भीतर हमारे पास एक अच्छी वैक्सीन होगी।
कोरोना वायरस वैक्सीन पर कई वैज्ञानिकों ने भी संदेह जताया है। कोरोना वायरस वैक्सीन की सफलता पर अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मिलकेन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक स्वास्थ्य के सहायक प्रोफेसर वैक्सीनोलॉजिस्ट जॉन एंड्रस कहते है कि कोरोना वायरस के एक प्रभावी टीका का विकास इतना निश्चित नहीं है जितना हम सोच रहे हैं। यह खतरनाक है कि हम कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में यह भूल जाएं कि हमें इस समय क्या करना चाहिए।
वैक्सीन की सफलता पर जताए जा रहे तमाम संदेहों के बीच रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि रूस की वैक्सीन ट्रायल में सफल रही है और अब अक्टूबर महीने से देश में व्यापक पैमाने पर लोगों के टीकाकरण काम काम शुरू होगा। उन्होंने कहा है कि इस वैक्सीन को लगाने में आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाएगी। बताया जा रहा है कि 12 अगस्त को रूस दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को रजिस्टर कराएगा।