नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि केंद्र शसित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं की बहाली पर विचार करने को लेकर एक समिति का गठन किया गया है। न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता में गठित खंडपीठ के समक्ष आज केंद्र की ओर से यह जानकारी दी गयी।
खंडपीठ गैर सरकारी संगठन फ्रीडम फार मीडिया प्रोफेशनल की ओर से दायर उस याचिका की सुनवाई कर रही है जिसमें पिछले साल मई के न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने के लिए अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गयी है।
गौरतलब है कि गत वर्ष पांच अगस्त को केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने तथा राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर विभाजित किये जाने के बाद से ही सभी उच्च स्पीड वाले इंटरनेट सेवाओं को स्थगित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें भारत में 4जी इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों की समीक्षा करते हुए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के फैसले का ब्योरा हो।
अदालत ने हालांकि केंद्र के खिलाफ अवमानना याचिका पर केंद्र या जम्मू-कश्मीर को कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है और न्यायालय के पिछले साल के मई के फैसले के आलोक में निर्णय लिया गया है।