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सेरोटोनिन : एक सामान्य मस्तिष्क रसायन से होता है टिड्डियों का प्रकोप

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 31 2020 2:25PM | Updated Date: May 31 2020 2:26PM
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नई दिल्ली। एक सामान्य मस्तिष्क रसायन (सेरोटोनिन) टिड्डियों के असाधारण प्रकोप की वजह हो सकता है, जो कि हानिरहित छोटे हरे डरपोक टिड्डियों को खतरनाक टिड्डियों में बदल देता है। ब्रिटेन और आॅस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि सेरोटोनिन, एक न्यूरोट्रांसमीटर (रासायनिक यौगिक जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच आवेगों को भेजता है और मनुष्यों में नींद से लेकर आक्रामकता तक सब कुछ प्रभावित करता है) एक प्रजाति के रेगिस्तानी टिड्डियों (शिस्टोसेरका ग्रेगरिआ) के गुणों में परिवर्तन करता है । यह प्रजाति अफ्रीका से एशिया तक कहर बरपाने के लिए मशहूर है।
 
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के प्रधान कीट वैज्ञानिक एस के सिंह के अनुसार टिड्डियों की लगभग 8,000 प्रजातियों में से केवल 10 के झुंड में बदलने की संभावना है। इस शोध के बाद सरकारों और किसानों को भविष्य में टिड्डियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के ऐसे तरीकों को विकसित करने में मदद मिल सकती है, जो कि सेरोटोनिन रसायन को दबा देगा।
 
सेरोटोनिन इंजेक्ट किए जाने के बाद एक लैब में डरपोक टिड्डियों को झुंड बनाने के लिए  दो से तीन घंटे का समय लगा। इसके विपरीत, अगर उन्हें सेरोटोनिन अवरोधक दिए गए, तो वे झुंड-उत्प्रेरण की स्थिति में भी एकान्त में रहें। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्राणि विज्ञान के प्रोफेसर सह लेखक मैल्कम बर्व्स कहते हैं, ‘‘ये छोटे कीट  एक शर्मीले कीट प्राणी से आक्रामक कीटों में बदल गए जो सक्रिय रूप से अन्य टिड्डियों के साथ संपर्क बनाने से बचता था। वे सब कुछ देखते हुए खाते है।’’
 
टिड्डी जब झुंड मोड में आते हैं, तो वे सिर्फ सुपर सोशल नहीं होते हैं, वे शारीरिक रूप से भी पूरी तरह बदल जाते हैं। यह कहना है कैम्ब्रिज के एक शोध सहयोगी सह-लेखक स्विडबर्ट ओट का। वास्तव में, वे कहते हैं, पहले और बाद के कीड़े इतने अलग दिखते हैं कि, 1920 के दशक तक, उन्हें दो अद्वितीय प्रजातियां मान लिया गया था।
 
जब जमीन परती हो जाती है और घास की कमी हो जाती है, तो आबादी छोटे और फसली क्षेत्रों की ओर बढ़ जाती है ।टिड्डियों के हमलों को अभी तक कीटनाशकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो कि अन्य लाभदायक कीटों को भी मिटा देते हैं । यह रसायन जो विशेष रूप से एकान्त टिड्डियों में सेरोटोनिन उत्पादन को रोकता है, टिड्डियों के प्रबंधन के लिए रणनीतिक अनुसंधान का एक नया द्वार खोलेगा। 
 
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