उद्योगपति गौतम अडानी के मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस की आलोचना की है। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप भी लगाया है। एक तरफ विपक्ष गौतम अडानी की कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। अडानी मामले की जांच की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन स्थगित हो गई थी। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘सरकार ने बार-बार कहा है कि वह किसी भी वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन वे (विपक्ष) इसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के साथ शुरू क्यों नहीं करते? ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष ने हमेशा एक रुख अपनाया है, जो राष्ट्रपति विरोधी है और देश के प्रत्येक नागरिक को यह पता है।’केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक ऐसा अभिभाषण दिया है, जो न केवल भारत के भविष्य की नींव रखता है, बल्कि हमारी वर्तमान क्षमता को भी प्रदर्शित करता है और इन मुद्दों पर चर्चा करने की आवश्यकता है।’’
तो वहीं, लोकसभा और राज्यसभा की बैठक के स्थगित होने के बाद खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम यह कहना चाहते हैं कि सरकार क्यों दबाव बनाकर ऐसी कंपनियों को कर्ज दिलवा रही है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के हित में ध्यान रखते हुए।।। एलआईसी, एसबीआई के निवेश को ध्यान में रखते हुए हम चर्चा की मांग कर रहे हैं। हमारी मांग है कि या तो जेपीसी गठित करके इसकी जांच हो या उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में इसकी जांच हो।’’ नियमों के मुताबिक संसद में 2 समिति का प्रावधान किया गया है। पहला, स्थाई समिति और दूसरा अस्थाई समिति। स्थाई समिति पूरे समय काम करती है और सरकार के वित्त और अन्य मामलों की निगरानी करती है। अस्थाई समिति किसी विशेष मुद्दे पर बनाई जाती है, जिस पर रिपोर्ट बनाकर समिति सदन में पेश करती है। अस्थाई समिति के तहत ही जेपीसी का गठन किया जाता है। जेपीसी पास सबूत जुटाने के लिए असमित अधिकार दिए गए हैं। समिति के निर्देश को नकारना संसद का अवमानना माना जाता है।